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"सिवा एक समय के / अमृता भारती" के अवतरणों में अंतर
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15:01, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
यहीं कहीं है वह
सिर्फ़ कुछ क़दम
मैं उसे देख सकती हूँ
एक क़दम और
मैं उसे छू सकती हूँ
यहीं कहीं है वह
मेरा पूरा संसार
मेरा आज तक का अकेलापन --
वह चल सकता है --
कुछ भी नहीं रुकता है
उसके अन्दर
सिवा एक समय के ।