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"पूजा / इमरोज़ / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

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10:40, 24 अक्टूबर 2013 का अवतरण

इक दिन
भगवान को पूछा
टूटे बाजारी फूलों से
किसी की पूजा हो सकती है?
भगवान ने हँस कर कहा
तूने देखा होगा
मंदिरों में घरों में
जहाँ कहीं भी टूटे फूलों से
पूजा होती है या हो रही है
वहाँ मैं पत्थर हो जाता हूँ
न सुनता हूँ न बोलता हूँ न देखता हूँ
पर जो खुद फूल बनकर
मेरी पूजा करता है
वहाँ मैं बुत नहीं बनता
उसे देख-देख
मैं भी फूल हो जाता हूँ
प्यार हो जाता हूँ…।