भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"परिभाषा / अशोक कुमार शुक्ला" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार शुक्ला |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
शब्दों के जाल में | शब्दों के जाल में | ||
अर्थो को तलाशता हुआ इंसान | अर्थो को तलाशता हुआ इंसान | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 13: | ||
सृजन का वही क्षण | सृजन का वही क्षण | ||
कविता कहलाता है। | कविता कहलाता है। | ||
+ | </poem> |
07:36, 31 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
शब्दों के जाल में
अर्थो को तलाशता हुआ इंसान
जब थककर
निढाल हो जाता है
सृजन का वही क्षण
कविता कहलाता है।