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"अनुराग और द्वेष / सुभाष काक" के अवतरणों में अंतर
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भले ही मुझे तुम्हारी याद | भले ही मुझे तुम्हारी याद | ||
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यद्यपि यह द्वेष | यद्यपि यह द्वेष | ||
प्रेम का चिह्न है। | प्रेम का चिह्न है। | ||
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जो मैं तुम्हें | जो मैं तुम्हें | ||
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तुम भी मुझे | तुम भी मुझे | ||
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तुम्हें भी कभी | तुम्हें भी कभी | ||
मुझसे प्रेम था। | मुझसे प्रेम था। | ||
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पर तुमने मेरा नाम | पर तुमने मेरा नाम | ||
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तुम्हारा अपवाद | तुम्हारा अपवाद | ||
करता हूँ। | करता हूँ। | ||
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परंतु यदि तुम्हारी दृष्टि | परंतु यदि तुम्हारी दृष्टि | ||
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मैं तत्काल चला आऊँगा। | मैं तत्काल चला आऊँगा। | ||
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11:06, 14 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण
मैं तुमसे अब प्रेम नहीं करता
यह सच है‚
भले ही मुझे तुम्हारी याद
आती है।
मुझे तुमसे द्वेष है अब‚
यद्यपि यह द्वेष
प्रेम का चिह्न है।
जो मैं तुम्हें
चाहता नहीं‚
तुम भी मुझे
भूल गई।
मुझे तुमसे प्रेम था‚
और कदाचित
तुम्हें भी कभी
मुझसे प्रेम था।
पर तुमने मेरा नाम
अपने हृदय से
मिटा दिया‚
मैं भी दूर देश
तुम्हारा अपवाद
करता हूँ।
परंतु यदि तुम्हारी दृष्टि
वाटिका के दूर कोने में
उस पेड़ पर पहुँचकर
जो मैंने बोया था
स्मृति को जगाए
और तुम मेरा नाम लो
मैं तत्काल चला आऊँगा।