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<poem>'''हिन्दी साहित्य के भीष्म पितामह ‘भैया साहब’!!'''
आलेखः-[[अशोक कुमार शुक्ला]]
पं0 [[श्रीनारायण चतुर्वेदी ]] का जन्म उत्तर-प्रदेश के इटावा जनपद में सन् 1895 ई0 में हुआ माना जाता है तथा श्रीनारायण जी इसी जन्मतिथि के हिसाब से ही भारत सरकार की राजकीय सेवा से सेवानिवृत भी हुये । (हाँलांकि इनकी मृत्यु के उपरांत प्रकाशित आत्मकथा '''‘परिवेश की कथा’''' में उन्होने अपना जन्म आश्विन कृष्ण तृतीया, अर्थात 28 दिसम्बर 1893 ई0 की मध्यरात्रि को होना अवगत कराया है)।
स्वतंत्रता से पूर्व उन्होंने सन् 1926 से 1930 तक जिनेवा में भारतीय शैक्षिक समिति के प्रमुख के रूप में भाग लिया। ये कई वर्षो तक उत्तर प्रदेश सरकार के शैक्षिक विभाग के भी प्रमुख रहे। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत इन्होंने आल इंन्डिया रेडियो के उप महानिदेशक(भाषा) के रूप में तैनात रहकर हिंदी भाषा विज्ञान के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुये सेवानिवृत हुये।
इनकी ख्याति एक कवि, पत्रकार, भाषा-विज्ञानी तथा लेेखक के रूप में है। उन्होंने अपनी कवितायें ‘श्रीवर’ नाम से लिखकर दो कविता संग्रह तैयार किये हैं '''1-[[रत्नदीप / श्रीनारायण चतुर्वेदी|रत्नदीप]] तथा 2-[[जीवन कण / श्रीनारायण चतुर्वेदी|जीवन कण]] '''
इनके द्वारा अंग्रेजी भाषा से किया गया अनुवाद '''‘विश्व का इतिहास’ ''' तथा '''‘शासक’''' महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं। वे हिन्दी भाषा में प्रकाशित संग्राहक कोश '''‘विश्वभारती’''' के संपादक रहे।
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