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"माता की मृत्यु पर / प्रभाकर माचवे" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=प्रभाकर माचवे
 
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00:44, 25 नवम्बर 2007 का अवतरण

माता ! एक कलख है मन में, अंत समय में देख न पाया
आत्मकीर के उड़ जाने पर बची शून्य पिंजर सी काया ।
और देख कर भी क्या करता? सब वि