"याद / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
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याद यह बार बार कहती है। | याद यह बार बार कहती है। | ||
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सोच में रात बीत जाती है। | सोच में रात बीत जाती है। | ||
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आँख छत से लगी ही रहती है। | आँख छत से लगी ही रहती है। | ||
हुन बरसता था, अमन था, चैन था। | हुन बरसता था, अमन था, चैन था। | ||
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था फला-फूला निराला राज भी। | था फला-फूला निराला राज भी। | ||
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वह समाँ हम हिन्दुओं के ओज का। | वह समाँ हम हिन्दुओं के ओज का। | ||
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आँख में है घूम जाता आज भी। | आँख में है घूम जाता आज भी। | ||
वे हमारे अजीब धुनवाले। | वे हमारे अजीब धुनवाले। | ||
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सब तरह ठीक जो उतरते थे। | सब तरह ठीक जो उतरते थे। | ||
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आज जो हैं कमाल के पुतले। | आज जो हैं कमाल के पुतले। | ||
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काल उन के कभी कतरते थे। | काल उन के कभी कतरते थे। | ||
जब रहे रात दिन हमारे वे। | जब रहे रात दिन हमारे वे। | ||
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पाँव जब धाक चूम जाती है। | पाँव जब धाक चूम जाती है। | ||
− | + | क्या रहे और तब रहे कैसे। | |
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अब न वह बात याद आती है। | अब न वह बात याद आती है। | ||
हैं पटकते कलप कलप उठते। | हैं पटकते कलप कलप उठते। | ||
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याद कर राज पाट खोना हम। | याद कर राज पाट खोना हम। | ||
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होठ को चाट चाट लेते हैं। | होठ को चाट चाट लेते हैं। | ||
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देख दिल का उचाट होना हम। | देख दिल का उचाट होना हम। | ||
जो कि दमदार थे बड़े उन को। | जो कि दमदार थे बड़े उन को। | ||
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धूल में था मिला दिया दम में। | धूल में था मिला दिया दम में। | ||
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थे दिलाबर कभी हमीं जग में। | थे दिलाबर कभी हमीं जग में। | ||
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थी बड़ी ही दिलावरी हम में। | थी बड़ी ही दिलावरी हम में। | ||
साँसतों का सगा सितम पुतला। | साँसतों का सगा सितम पुतला। | ||
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कब हमें मानता न यम सा था। | कब हमें मानता न यम सा था। | ||
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थी दिलेरी बहुत बड़ी हम में। | थी दिलेरी बहुत बड़ी हम में। | ||
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कौन जग में दिलेर हम सा था। | कौन जग में दिलेर हम सा था। | ||
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09:04, 20 मार्च 2014 के समय का अवतरण
क्या रहे और हो गये अब क्या।
याद यह बार बार कहती है।
सोच में रात बीत जाती है।
आँख छत से लगी ही रहती है।
हुन बरसता था, अमन था, चैन था।
था फला-फूला निराला राज भी।
वह समाँ हम हिन्दुओं के ओज का।
आँख में है घूम जाता आज भी।
वे हमारे अजीब धुनवाले।
सब तरह ठीक जो उतरते थे।
आज जो हैं कमाल के पुतले।
काल उन के कभी कतरते थे।
जब रहे रात दिन हमारे वे।
पाँव जब धाक चूम जाती है।
क्या रहे और तब रहे कैसे।
अब न वह बात याद आती है।
हैं पटकते कलप कलप उठते।
याद कर राज पाट खोना हम।
होठ को चाट चाट लेते हैं।
देख दिल का उचाट होना हम।
जो कि दमदार थे बड़े उन को।
धूल में था मिला दिया दम में।
थे दिलाबर कभी हमीं जग में।
थी बड़ी ही दिलावरी हम में।
साँसतों का सगा सितम पुतला।
कब हमें मानता न यम सा था।
थी दिलेरी बहुत बड़ी हम में।
कौन जग में दिलेर हम सा था।