Changes

आतंकवाद / रफ़ीक शादानी

18 bytes removed, 15:54, 23 मार्च 2014
|संग्रह=
}}
{{KKCatAwadhiRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बुरे काम का बुरा नतीजा
भीतर से मन बोला .
पाए गए जब नोट का गड्डा
तन डोला मन डोला.
रामलला पर फेकै आए
कुछ लोगै हथगोला.
उनइ के हथवन में
दग्गा हो गए उड़नखटोला.
यहकी ख़ातिर करो ज़िहाद
मिटे विश्व से आतंकवाद.पांच पाक के नालायक औलाद तोसे तो अच्छे ज़ल्लाद.
बड़े बहादुर बनत हौ बेटा
आए के देखो फैज़ाबाद.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,151
edits