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"उठो / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बुरी बात है
 
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चुप मसान में बैठे-बैठे
 
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दुःख सोचना, दर्द सोचना !
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शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को
 
शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को
 
 
हाज़िर नाज़िर रखकर
 
हाज़िर नाज़िर रखकर
 
 
सपने बुरे देखना !
 
सपने बुरे देखना !
 
 
टूटी हुई बीन को लिपटाकर छाती से
 
टूटी हुई बीन को लिपटाकर छाती से
 
 
राग उदासी के अलापना !
 
राग उदासी के अलापना !
 
 
   
 
   
 
 
बुरी बात है !
 
बुरी बात है !
 
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उठो, पांव रक्खो रकाब पर
उठो , पांव रक्खो रकाब पर
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जंगल-जंगल नद्दी-नाले कूद-फांद कर
 
जंगल-जंगल नद्दी-नाले कूद-फांद कर
 
 
धरती रौंदो !
 
धरती रौंदो !
 
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जैसे भादों की रातों में बिजली कौंधे,
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ऐसे कौंधो ।
 
ऐसे कौंधो ।
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12:06, 29 मार्च 2014 के समय का अवतरण

बुरी बात है
चुप मसान में बैठे-बैठे
दुःख सोचना, दर्द सोचना !
शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को
हाज़िर नाज़िर रखकर
सपने बुरे देखना !
टूटी हुई बीन को लिपटाकर छाती से
राग उदासी के अलापना !
 
बुरी बात है !
उठो, पांव रक्खो रकाब पर
जंगल-जंगल नद्दी-नाले कूद-फांद कर
धरती रौंदो !
जैसे भादों की रातों में बिजली कौंधे,
ऐसे कौंधो ।