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"विधु-बदनी श्रीराधिके! / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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विधु-बदनी श्रीराधिके! मेरी जीवन-मूल।
 
विधु-बदनी श्रीराधिके! मेरी जीवन-मूल।
तेरे विषम वियोगकी चुभी हृदयमें शूल॥
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तेरे विषम वियोग की चुभी हृदय में शूल॥
 
असहनीय अति वेदना, छिपा न रक्खी जाय!
 
असहनीय अति वेदना, छिपा न रक्खी जाय!
कहना भी सभव नहीं, हु‌आ निपट असहाय॥
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कहना भी संभव नहीं, हु‌आ निपट असहाय॥
 
पूर्वपुण्य-परिपाक से पाऊँ निभृत अरण्य।
 
पूर्वपुण्य-परिपाक से पाऊँ निभृत अरण्य।
 
पथिक-रहित पथ, जो कभी दीर्घकाल तक शून्य॥
 
पथिक-रहित पथ, जो कभी दीर्घकाल तक शून्य॥

14:14, 3 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

विधु-बदनी श्रीराधिके! मेरी जीवन-मूल।
तेरे विषम वियोग की चुभी हृदय में शूल॥
असहनीय अति वेदना, छिपा न रक्खी जाय!
कहना भी संभव नहीं, हु‌आ निपट असहाय॥
पूर्वपुण्य-परिपाक से पाऊँ निभृत अरण्य।
पथिक-रहित पथ, जो कभी दीर्घकाल तक शून्य॥
तो विछोह के शोक की बहे अश्रु-जल-धार।
मिश्रित घर्घर शब्द, सब पवित्र हो संसार॥