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/* ग़ज़लें */
* [[आरज़ू की बेहिसी का ग़र यही आलम रहा / शहजाद अहमद]]
* [[जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई / शहजाद अहमद]]
* [[चोरी की तरह जुर्म ज़ुर्म है दौलत की हवस भी / शहजाद अहमद]]