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का से कहूं मैं अपने दिल की बात|बात।न जाने कब पूरी होगी मेरे दिल की सौगात|सौगात।मैं भी कर पाउंगी प्रिय से संवाद|संवाद।क्या कभी हो पायेगी दिल से दिल की बात||बात।।
तुम कब समझोगे मेरे दिल की बात|बात।अभी तो नही दिख रहे हैं कोई आसार|आसार।कभी तो फुरसत से मिलो हमें इक बार|बार।हमारा दिल पुकारता है तुम्हे बार-बार||बार।।
अब तो आ जाओ मेरे मन मीत|मीत।मत उलझो दुनिया की भवभीत|भवभीत।अनमोल समय बीता जा रहा है|है।पर हमारा मिलन नहीं हो पा रहा है|है।
हम कब चलेंगे प्यार की राहों में साथ-साथ|साथ।पकड़ कर बिना डर भय के एक दुसरे का हाथ|हाथ।हम कहीं दूर इक आशना बनाएँगे|बनाएँगे।क्या तुम वहां संग साथ रहने आ पाओगे||पाओगे।।
जीवन की इस सांध्य बेला में|में।डोल रहे हैं हम अकेले अकेले में|में।अब तो साथ निभा जाओ|जाओ।बस एक बार हमारे पास आ ही जाओ||जाओ।।
मन की कुण्ठा अब करो तुम दूर|दूर।जीवन नहीं जी पाये तुम भी भरपूर|भरपूर।हमने जीवन भर अपना-अपना फर्ज निभाया है|है।कोई नहीं बन पाया हमारा साया है||है।।
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