"समधिन मेरी रसभीनी है / गोपालप्रसाद व्यास" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालप्रसाद व्यास |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
छह बच्चों की माँ है तो क्या, | छह बच्चों की माँ है तो क्या, | ||
− | + | मुँह पर उनके रंगीनी है, | |
समधिन मेरी रसभीनी है। | समधिन मेरी रसभीनी है। | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
समधिन मेरी रसभीनी है। | समधिन मेरी रसभीनी है। | ||
− | दिख जाती- | + | दिख जाती-चाँद निकलता है |
छिप जाती-नेह पिघलता है | छिप जाती-नेह पिघलता है | ||
सतराती-सिट्टी गुम होती | सतराती-सिट्टी गुम होती |
16:24, 15 मई 2014 के समय का अवतरण
छह बच्चों की माँ है तो क्या,
मुँह पर उनके रंगीनी है,
समधिन मेरी रसभीनी है।
माथे पर बिंदिया चमचम है,
आंखों में मोटा काज़ल है
ओठों पर पानों की लाली
अंचल अब भी कुछ चंचल है।
मुस्कान बड़ी नमकीनी है
बातों में घुलती चीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।
सम 'धिन' में, सम धा-धिन्ना में
सम किट में, सम किट-किन्ना में,
है विषम सिर्फ समधीजी से,
सम मिलता उनका जिन्ना में।
हां कहना उन्हें न आता है
ना में हां छिपी यकीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।
समधिन लक्ष्मी की माया है
रिश्तेदारों पर छाया है
बहुओं की हैड मास्टरनी
लेकिन बच्चों की आया है।
गैरों को भारी पड़ती हों
पर अपने लिए महीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।
दिख जाती-चाँद निकलता है
छिप जाती-नेह पिघलता है
सतराती-सिट्टी गुम होती
बतराती-अमृत मिलता है।
समधीजी तो प्राचीन हुए
समिधन ही नित्य नवीनी है।
रसभीनी है, नमकीनी है
बातों में घुलती चीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।