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|सारणी=रामाज्ञा प्रश्न / प्रथम सर्ग / तुलसीदास
|आगे=रामाज्ञा प्रश्न / प्रथम सर्ग / सप्तक ४ / तुलसीदास
|पीछे=रामाज्ञा प्रश्न / प्रथम सर्ग / सप्तक २ / तुलसीदास
सुमिरत सब कल्यान जग, पग पग मंगल मोद॥१॥
महाराज दशरथके राजभवनमें भाइयोंके साथ श्रीराम बालक्रीड़ा करते हैं। इसका स्मरण करनेसे संसारमें सब प्रकार कल्याण होता है और पद-पदपर (सर्वदा) मंगल एवं आनन्द होता है॥१॥
(प्रश्नब प्रश्न- फल शुभ है।)
करन बेध चूड़ा करन, श्रीरघुबर उपबीत।
लच्छि लाभ जय जगत जसु, मंगल सगुन प्रमान॥४॥
श्रीराम-लक्ष्मणका विश्वामित्रजीके साथ स्मरण करके यात्रा करो। संसारमें सुयश, विजय तथा धनकी प्राप्ति होगी। यह प्रामाणिक मंगल शकुन है॥४॥
(प्रश्न् प्रश्न- फल शुभ है।)
मुनिमखपाल कृपाल प्रभु चरनकमल उर आनु।
तजहु सोच, संकट मिटहि, पूजिहि मन कै आस॥७॥
शिलारूप अहल्याके शापको छुडा़नेवाले (श्रीरघुनाथजीके) चरणोंका स्मरण करो। तुलसीदासजी कहते हैं कि चिन्ता छोड़ दो, संकट दूर हो जायगा और मनकी अभिलाषा पूरी होगी॥७॥
(प्रश्नि प्रश्न - फल शुभ है।)
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