भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रसखान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) (→प्रतिनिधि रचनाएँ) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKParichay | {{KKParichay | ||
− | |चित्र= | + | |चित्र=:Raskhaan.jpg |
|नाम=रसखान | |नाम=रसखान | ||
|उपनाम=रसखान | |उपनाम=रसखान |
13:30, 9 जून 2014 का अवतरण
रसखान
www.kavitakosh.org/raskhan
www.kavitakosh.org/raskhan
[[चित्र::Raskhaan.jpg|class=kkparichay-poet-photo|link=]]
जन्म | 1541 अनुमानित |
---|---|
निधन | 1603 अनुमानित |
उपनाम | रसखान |
जन्म स्थान | दिल्ली |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
-- | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
रसखान / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/raskhan |
- मंगलाचरण/ रसखान
- प्रेमवाटिका / रसखान (दोहा-गुटका)
- सुजान रसखान / रसखान (कविता-संग्रह)
प्रतिनिधि रचनाएँ
- मानुस हौं तो वही / रसखान
- या लकुटी अरु कामरिया / रसखान
- सेस गनेस महेस दिनेस / रसखान
- धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान
- कानन दै अँगुरी रहिहौं / रसखान
- मोरपखा मुरली बनमाल / रसखान
- कर कानन कुंडल मोरपखा / रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं / रसखान
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व / रसखान
- संकर से सुर जाहिं जपैं / रसखान
- प्रान वही जु रहैं रिझि वापर / रसखान
- रसखान के दोहे / रसखान
- आवत है वन ते मनमोहन / रसखान
- जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन / रसखान
- बैन वही उनकौ गुन गाइ / रसखान
- सोहत है चँदवा सिर मोर को / रसखान
- कान्ह भये बस बाँसुरी के / रसखान
- नैन लख्यो जब कुंजन तैं / रसखान
- फागुन लाग्यौ सखि जब तें / रसखान
- मोहन हो-हो, हो-हो होरी / रसखान
- गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि / रसखान
- खेलत फाग सुहाग भरी / रसखान
- ब्रह्म मैं ढूँढयो पुराण गानन / रसखान
- जेहि बिनु जाने कछुहि नहिं / रसखान
- आयो हुतो नियरे रसखानि / रसखान
- आवत है बन ते मनमोहन / रसखान
- आगु गई हुति भोर ही हों रसखानि / रसखान
- गाई दहाई न या पे कहूँ / रसखान
- एक समै जमुना-जल में सब मज्जन हेत / रसखान
- अधर लगाइ रस प्याइ बाँसुरी बजाई / रसखान
- कीगै कहा जुपै लोग चवाब सदा / रसखान
- आज भटू मुरली बट के तट / रसखान
- आई सबै ब्रज गोपालजी ठिठकी / रसखान
- दानी नए भए माँबन दान सुनै / रसखान
- नो लख गाय सुनी हम नंद के / रसखान
- लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि / रसखान
- मोर के चंदन मोर बन्यौ दिन दूलह हे अली / रसखान
- आवत लाल गुलाल लिए मग / रसखान
- इक और किरीट बसे दुसरी दिसि / रसखान
- यह देखि धतूरे के पात चबात / रसखान
- बेद की औषद खाइ कछु न करै / रसखान
- कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के / रसखान
- प्रेम अगम अनुपम अमित / रसखान
भक्तिकालीन रचनाकार | ||
ज्ञानाश्रयी शाखा | कबीर • रैदास • मलूकदास • दादू दयाल • गुरु नानकदेव • सुंदरदास • धनी धरमदास | |
प्रेमाश्रयी शाखा | कुतबन • मंझन • मलिक मोहम्मद जायसी • उसमान • शेख नबी • कासिमशाह • नूर मुहम्मद | |
रामाश्रयी शाखा | तुलसीदास • अग्रदास • प्राणचंद चौहान • हृदयराम | |
कृष्णाश्रयी शाखा | वल्लभाचार्य • अष्टछाप ( सूरदास • कुम्भनदास • परमानंददास • कृष्णदास • छीतस्वामी • गोविन्दस्वामी • चतुर्भुजदास • नंददास ) • हितहरिवंश • गदाधर भट्ट • मीराबाई • हरिदास • सूरदास मदनमोहन • श्रीभट्ट • हरिराम व्यास • रसखान • ध्रुवदास |
|
अन्य कवि | छीहल • लालचदास • कृपाराम • नरहरि बंदीजन • नरोत्तमदास • आलम • टोडरमल • बीरबल • गँग • मनोहर कवि • बलभद्र मिश्र • जमाल • केशवदास • होलराय • रहीम • कादिर • मुबारक • बनारसीदास • सेनापति • पुहकर कवि • सुँदर • लाल कवि | |