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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाबा भूजय बैसली बहिनियां
चुलहा दहिनिया हे
हे सुन्दरि मंगल अग्नि पजारल हे
साजी पत्रमे राखल
लाबा पुनि भूजल हे
दुलहिन गृहमे बैसि जे ब्याहन हे
कहय हे सखि सब आनन्द मनाबिय
प्रभु गोहराबिय हे
जुगे-जुगे बढू़ आहिबात
कि अइहब गाबिय हे