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"मुर्गियाँ / देवेन्द्र सैफ़ी" के अवतरणों में अंतर

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हमारा पहला मालिक<br>
 
हमारा पहला मालिक<br>

11:27, 25 मई 2008 के समय का अवतरण

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»  मुर्गियाँ

हमारा पहला मालिक
हमें 'कुड़-कुड़' नहीं करने देता था
जब उसका दिल करता
हमें मार कर खा जाता था

नया मालिक
हमें दड़बे में रखेगा
हमारी 'कुड़-कुड़' पर
पाबन्दी नहीं लगायेगा
रोज़ हमारे अंडे लेकर जायेगा
पर हमें नहीं खायेगा

हम नाचती हैं
ऐसे मालिक के स्वागत में
हम नये युग की
समझदार मुर्गियाँ हैं।