{{KKRachna
|रचनाकार=यात्री
|संग्रह=पत्रहीन नग्न गाछ / यात्री
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जे बूड़ि हैत से बोकिअओतहु !
नहि रहलइ ककरो किच्छु मात्र तोहर भरोस ....
माटिक महŸवकें महत्तवकें चीन्हि लेलक ई देश-कोश !
पाथर भेलाह तों सरिपहुँ बाबा बैदनाथ !
नहि नबतै तोरा खातिर किन्नहु हमर माथ !
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