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जन गण मन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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[[Category:बांगला]]
[[Category:राष्ट्रगान]]
गुरुदेव [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] द्वारा 1911 में रचित इस रचना के पहले पद को भारत का राष्ट्रगान होने का गौरव प्राप्त है। रचना में कुल पाँच पद हैं। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है । कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रुप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। इस रचना की भाषा संस्कृत-मिश्र बांग्ला है। '''जन गण मन''' रचना को गुरुदेव ने मार्ग्रेट कज़िन्स के साथ मिलकर आन्ध्र प्रदेश के मदनापल्ले में संगीतबद्ध किया था। [[बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय]] रचित '''[[वन्दे मातरम् / बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय | वन्दे मातरम्‌]]''' भारत का आधिकारिक राष्ट्रगीत है। इसके अलावा [[अल्लामा इक़बाल]] द्वारा रचित '''[[तराना-ए-हिन्दी (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा ) / इक़बाल | सारे जहाँ से अच्छा]]''' भी भारत में अति-लोकप्रिय है।
<poem>
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब , सिन्ध , गुजरात , मराठाद्राविड़ , उत्कल , बंगविन्ध्य , हिमाचल , यमुना , गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे , जय हे , जय हे
जय जय जय जय हे
'''इस रचना के यहाँ तक के पदों को भारत के राष्ट्रगान होने का सम्मान प्राप्त है। यहाँ से नीचे दिये गये पद भारतीय राष्ट्रगान का अंग नहीं हैं'''
 
अहरह तव आह्वान प्रचारित,
शुनि तव उदार वाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक
मुसलमान क्रिस्टानी
पूरब पश्चिम आसे
तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पंथा,
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे
 
रात्रि प्रभातिल उदिल रविच्छवि
पूरब-उदय-गिरि-भाले, साहे विहन्गम, पूएय पून्नो समीरण
नव-जीवन-रस ढाले,
तव करुणारुण-रागे