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"पत्‍नी / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(अंधड उखाड देते हैं उसकी चिनगारी को)
 
 
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चांदनी की बाबत
 
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उसने कभी विचार ही नहीं किया
 
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जैसे वह जानती नहीं
 
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कि वह भी कोई शै है
 
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उसे तो बस
 
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तेज काटती हवाओं
 
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और अंधडों में
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चैन आता है
 
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जो उसके बारहो मास बहते पसीने को
 
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तो सुखाते ही हैं
 
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वर्तमान की नुकीली मार को भी
 
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उडा-उडा देते हैं
 
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अंधडों में ही
 
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एकाग्र हो पाती है वह
 
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और लौट पाती है
 
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अंधड
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उखाड देते हैं उसकी चिनगारी को
 
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और धधकती हुई वह
 
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सपाट छायाओं को
 
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छू लेना चाहती है ।
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06:52, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

चांदनी की बाबत
उसने कभी विचार ही नहीं किया
जैसे वह जानती नहीं
कि वह भी कोई शै है

उसे तो बस
तेज काटती हवाओं
और अंधडों में
चैन आता है
जो उसके बारहो मास बहते पसीने को
तो सुखाते ही हैं
वर्तमान की नुकीली मार को भी
उडा-उडा देते हैं

अंधडों में ही
एकाग्र हो पाती है वह
और लौट पाती है
स्मृतियों में

अंधड
उखाड देते हैं उसकी चिनगारी को
और धधकती हुई वह
अतीत की
सपाट छायाओं को
छू लेना चाहती है ।
1996