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"महानगर में लड़कियाँ / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां)
 
 
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दो लडकियां रिक्शे पर हैं
 
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सिर पर पोनीटेल में
 
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टंके हैं सफेद फूल
 
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हल्का अंधेरा है और उन्हें निहारने में
 
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बल पड रहा आंखों पर
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लडकियों के दिखने का लहजा सुंदर है
 
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पर रिबन के सफेद फूल
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ज्यादा खि‍ल रहे हैं
 
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जा चुका है रिक्शा
 
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सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं
 
सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं
 
 
याद कर रहा हूं उनका चेहरा
 
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कि महुए की तीखी गंध डुबो लेती है अपने में
 
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महानगर में अब भी तीखा है महुआ
 
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अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां ।
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07:17, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

दो लडकियां रिक्शे पर हैं

सिर पर पोनीटेल में
टंके हैं सफेद फूल

हल्का अंधेरा है और उन्हें निहारने में
बल पड रहा आंखों पर
लडकियों के दिखने का लहजा सुंदर है
पर रिबन के सफेद फूल
ज्यादा खि‍ल रहे हैं

जा चुका है रिक्शा
सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं
याद कर रहा हूं उनका चेहरा
कि महुए की तीखी गंध डुबो लेती है अपने में
महानगर में अब भी तीखा है महुआ
अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां ।
1995