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"पिता / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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पिता हमाए  
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मैं रोया  
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मैं रोया तो
तो मुझे चुपाया
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मुझे चुपाया
'बिल्ली आई'
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‘बिल्ली आई’
कह बहलाया  
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कह बहलाया
  
मुश्किल में  
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जीवन जीने की-
 
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कला सिखाए
 
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पिता हमाए
 
पिता हमाए
  
नदिया में मुझको
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नदिया में  
नहलाया
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मुझको नहलाया
झूले में मुझको
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झूले में
झुलवाया
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मुझको झुलवाया
  
मेरी जिद पर  
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मेरी जिद पर
गोद उठाकर  
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गोद उठाकर
मुझे मनाए  
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मुझे मनाए
 
पिता हमाए
 
पिता हमाए
  
जब भी फसली
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जब भी फसली  
 
चीजें लाते
 
चीजें लाते
सब से पहले  
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सबसे पहले
 
मुझे खिलाते
 
मुझे खिलाते
  
कभी-कभी खुद  
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कभी-कभी खुद
भूखे रह कर
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भूखे रहकर
मुझे खिलाए  
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पिता हमाए
 
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शब्द सुना  
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शब्द सुना
पापा का जब से
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मैं भी पिता
 
मैं भी पिता
बन गया तब से  
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मधुर-मधुर-सी
 
मधुर-मधुर-सी
संस्मृयों में  
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अब तक छाए  
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अब तक छाए
पिता हमाए  
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पिता हमाए
 
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13:47, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

पिता हमाए

मैं रोया तो
मुझे चुपाया
‘बिल्ली आई’
कह बहलाया

मुश्किल में
जीवन जीने की-
कला सिखाए
पिता हमाए

नदिया में
मुझको नहलाया
झूले में
मुझको झुलवाया

मेरी जिद पर
गोद उठाकर
मुझे मनाए
पिता हमाए

जब भी फसली
चीजें लाते
सबसे पहले
मुझे खिलाते

कभी-कभी खुद
भूखे रहकर
मुझे खिलाए
पिता हमाए

शब्द सुना
पापा का जबसे
मैं भी पिता
बन गया तब से

मधुर-मधुर-सी
संस्मृतियों में
अब तक छाए
पिता हमाए