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"तुम्हारा नाम सुनकर / प्रमोद कौंसवाल" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारा नाम सुनकर
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हँसते-हँसते उनके पेट में बल पड़ गए
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कि मैं ले सकता हूँ तुम्हारा नाम
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जैसे ही मैं तुम्हारा नाम लेने लगा
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--अच्छा तो क्या हुआ
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ओहो ! मैं जानता ही था--
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उनमें से एक कहता
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और चुप हो जाते बाक़ी सब
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यही सच है कि तुम्हारा नाम सुनकर
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कान खड़े हो जाते कइयों के
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वहाँ जहाँ वे सब बैठे थे
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अक्सर मुहावरों में बातें करते
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जैसे उनकी ही इस भाषा में मैं कहूँ तो
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वे बिदक जाते थे तुम्हारा नाम सुनकर
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चमत्कार ही था तुम्हारा नाम
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जैसे कि नाम में भी बहुत कुछ रखा है
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इसलिए वे आपस में घंटों बात करते रहे
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रहस्य पर जिस तरह बातें करते हैं
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हर मुमकिन कोशिश करते हुए कि एक नाम को
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तुले हुए हैं वे बिगाड़ने पर ।

02:41, 5 जनवरी 2008 के समय का अवतरण

वे हैरान थे

तुम्हारा नाम सुनकर

हँसते-हँसते उनके पेट में बल पड़ गए

कि मैं ले सकता हूँ तुम्हारा नाम

जैसे ही मैं तुम्हारा नाम लेने लगा

--अच्छा तो क्या हुआ

ओहो ! मैं जानता ही था--

उनमें से एक कहता

और चुप हो जाते बाक़ी सब


यही सच है कि तुम्हारा नाम सुनकर

कान खड़े हो जाते कइयों के

वहाँ जहाँ वे सब बैठे थे

अक्सर मुहावरों में बातें करते

जैसे उनकी ही इस भाषा में मैं कहूँ तो

वे बिदक जाते थे तुम्हारा नाम सुनकर

चमत्कार ही था तुम्हारा नाम

जैसे कि नाम में भी बहुत कुछ रखा है

इसलिए वे आपस में घंटों बात करते रहे

रहस्य पर जिस तरह बातें करते हैं

हर मुमकिन कोशिश करते हुए कि एक नाम को

तुले हुए हैं वे बिगाड़ने पर ।