Changes

अमरनाथ साहिर

3,019 bytes removed, 07:05, 4 दिसम्बर 2014
'''कुछ फुटकर शे’र'''{{KKGlobal}}{{KKParichayहोने को तो है अब भी वही हुस्न, वही इश्क़।|चित्र=|नाम=अमरनाथ साहिरजो हर्फ़े-ग़लत होके मिटा नक़्शे-वफ़ा था॥|उपनाम=|जन्म= |जन्मस्थान= पिन्हाँ नज़र से पर्द-ए-दिल में रहा वोह शोख़।|कृतियाँ= |विविध= क्या इम्तयाज़ हो मुझे हिज्रो-विसाल का॥  ऐ परीरू! तेरे दीवाने का ईमाँ क्या है। इक निगाहे-ग़लत अन्दाज़ पै क़ुर्बां होना॥   जुनूने इश्क़ में कब तन-बदन का होश रहता है। बढ़ा जब जोशे-सौदा हमने सर को दर्दे-सर जाना॥  एक जज़्बा था अज़ल से गोशये-दिल में निहाँ। इश्क़ को इस हुस्न के बाज़ार ने रुसवा किया॥  तमन्नाएं बर आई अपनी तर्केमुद्दआ होकर। हुआ दिल बेमतमन्ना अब, रहा मतलब से क्या मतलब॥  देखकर आईना कहते हैं कि - "लासानी हूँ मैं"। आईना देता है उनकी लनतरानी का जवाब॥  पा लिया आपको अब कोई तमन्ना न रही। बेतलब मुझको जो मिलना था मिला आपसे आप॥  गुम कर दिया है आलमे-हस्ती में होश को। हर इक से पूछता हूँ कि ‘साहिर’ कहाँ है आज।  दामाने-यार मरके भी छूटा न हाथ से। उट्ठे हैं ख़ाक होके सरे रहगुज़र से हम॥  सदा-ए-वस्ल बामे-अर्श से आती है कानों में--।|अंग्रेज़ीनाम=amaranath sahir saheer amaranaath"मुहब्बत के मज़े इस दार पर चढ़कर निकलते हैं"||जीवनी=[[अमरनाथ साहिर / परिचय]]}} क़तरा दरिया है अगर अपनी हक़ीक़त जाने। खोये जाते हैं जो हम आपको पा जाते हैं॥  कहाँ दैरो-हरम में जलवये-साकी़-ओ-मय बाक़ी? चलें मयख़ाने में और बैअ़ते-पीरेमुग़ाँ कर लें॥  परेपरवाज़ उनका लायेंगे गर ला-मकाँ भी हो। तुम्हें हम ढूँढ़ लायेंगे कहीं भी हो, जहाँ भी हो॥  हुस्न क्या हुस्न है जल्वा जिसे दरकार न हो। यूसफ़ी क्या है जो हंगाम-ए-बाज़ार न हो॥  बेतमन्नाई ने बरहम रंगे-महफ़िल कर दिया। दिल की बज़्म-आराइयाँ थीं आरज़ू-ए-दिल के साथ॥* '''[[कुछ फुटकर शे’र / अमरनाथ साहिर]]'''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,141
edits