भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
<Poem>
+
{{KKCatNepaliRachna}}
 +
<poem>
 
उसके अपने कभी अपने नही हुए  
 
उसके अपने कभी अपने नही हुए  
 
अधूरे सपनों को गले लगाकर  
 
अधूरे सपनों को गले लगाकर  
पंक्ति 17: पंक्ति 18:
 
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
 
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
  
'''मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा
+
'''मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : विर्ख खड़का डुवर्सेली </poem>
<Poem>
+

10:22, 26 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण

उसके अपने कभी अपने नही हुए
अधूरे सपनों को गले लगाकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
गमले के कैकटस जैसा
न फूल सकता है, न फैल सकता है!
उसकी हँसी कृत्रिम है
अव्यक्त व्यथा-वेदनाओं में लिपटकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
किसी के मन में माया बनकर रह नही सकता
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !

मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : विर्ख खड़का डुवर्सेली