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महेश कटारे सुगम
जन्म: 24 जनवरी 1954
उपनाम
सुगम
जन्म स्थान
पिपरई, ललितपुर, उत्तरप्रदेश भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
विविध
बुन्देली के कवि।
जीवन परिचय
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हिन्दी में ग़ज़लें
- उन्हें ज़िन्दादिली ज़िन्दादिलों से है परेशानी / महेश कटारे सुगम
- ज़नाब जंग का मुददआ तलाश कर लेना / महेश कटारे सुगम
- ये जो रुतबा रुआब वाले हैं / महेश कटारे सुगम
- नहीं सुनाई देता है क्यूँ भीषण हाहाकार तुम्हें / महेश कटारे सुगम
- वक़्त फँसता नहीं विवादों में / महेश कटारे सुगम
- मंज़िलें ओझल हुईं पर सीढ़ियाँ पकड़े रहे / महेश कटारे सुगम
- फलक के जिस्म पै ज़ख्मों की ज़ेरवारी थी / महेश कटारे सुगम
- दिल में अपने लिख रक्खी हैं लूटपाट की तहरीरें / महेश कटारे सुगम
- डालकर दाना शिकारी फाँसते हैं आपको / महेश कटारे सुगम
- सन्त बनकर उग रहे कुछ अस्ल ये कूकर के मूत / महेश कटारे सुगम
- होरी है बीमार अभी भी / महेश कटारे सुगम
- देखते ही देखते तमाम बोलने लगे / महेश कटारे सुगम
- दर्द राजा है आह रानी है / महेश कटारे सुगम
- प्यार ने रोज़ ही जीने के तरीके बाँटे / महेश कटारे सुगम
- जुल्म की सत्ता चलाने में सहायक हो गए / महेश कटारे सुगम
- अब हमारा और चुप रहना नहीं आसान है / महेश कटारे सुगम
- बदलती ज़ीस्त के साए बहुत हैं / महेश कटारे सुगम
- हमारे गाँव में भी अब सियासत आन पहुँची है / महेश कटारे सुगम
- आपका जो भी आब-ओ-दाना है / महेश कटारे सुगम
- रिश्तों को मुट्ठियों की ज़दों में छुपा लिया / महेश कटारे सुगम
- ख्वाब मेरे भटकते रहे रात भर / महेश कटारे सुगम
- रिश्तों को मुट्ठियों की ज़दों में छुपा लिया / महेश कटारे सुगम
बुन्देली में ग़ज़लें
- कभऊँ गाँव में आकें देखौ / महेश कटारे सुगम
- बचनें है खेंचातानी सें / महेश कटारे सुगम
- की के लानें कोसें भैया / महेश कटारे सुगम
- देखौ जे अच्छे दिन आ रये / महेश कटारे सुगम
- पंचयात कौ ताव अलग है / महेश कटारे सुगम
- अँध्यारे तौ खावे फिर रये / महेश कटारे सुगम
- का भऔ बात बतातई नईंयाँ / महेश कटारे सुगम
- जब सें तुम आ जा रये घर में / महेश कटारे सुगम
- दिन ऊंगत है रोज़ ढरत है / महेश कटारे सुगम
- अलग बात है कच्चे घर की / महेश कटारे सुगम
- नईंयाँ ग़ज़ल अकेली मोरी / महेश कटारे सुगम
- मूरख के लानें समझा रये / महेश कटारे सुगम
- चलनी रै रईं सूपा रै रये / महेश कटारे सुगम
- जब तुम अपनौ मौ खोलत हौ / महेश कटारे सुगम
- ख़ुशी मिलत तौ उमर बढ़त है / महेश कटारे सुगम
- मान्स सबई बेघर हो जें तौ / महेश कटारे सुगम
- अब तौ भौतई जाड़ौ हो गऔ / महेश कटारे सुगम
- शैरन के मौ भरे-भरे हैं / महेश कटारे सुगम
- करम सबई हैं कारे उनके / महेश कटारे सुगम
- बिन्नू हो गईं स्यानी मर रये ऐई फिकर के मारें / महेश कटारे सुगम
- जा दुनिया आबाद बनी रय / महेश कटारे सुगम
- आज मिलौ है सुख साँचौ सौ / महेश कटारे सुगम
- घोर कुकर्मन कौ खा रये हैं / महेश कटारे सुगम
- सरपंचन बन गई घरवारी / महेश कटारे सुगम
- खूबई दौलत रोरत जा रये / महेश कटारे सुगम
- जुग कौ जादू चल गऔ भौजी / महेश कटारे सुगम
- हमनें देखौ बर्राटन में / महेश कटारे सुगम
- काय भये सन्तोषी भैया / महेश कटारे सुगम
- का है जौ भोपाल समझ लो / महेश कटारे सुगम
- बड़ी आँख कौ जो तारौ है / महेश कटारे सुगम
- दार ,बरीं, जौ, दरिया लै गए / महेश कटारे सुगम
- बड़े गए ते ऐंठ आँठ कें / महेश कटारे सुगम
- कागज कौ तौ भन्ना भर दऔ / महेश कटारे सुगम
- हम तुम तौ हैं एक जगा के / महेश कटारे सुगम
- दुःख झेलत तौ ग़ज़ल कैत हैं / महेश कटारे सुगम
- जीवन चाल चलन नईं दै रये / महेश कटारे सुगम
- गरे गरे तक संकट हो गए / महेश कटारे सुगम
- बड़े घरन के छोरा नईंयाँ / महेश कटारे सुगम