लेखक: [[कैफ़ी आज़मी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=कैफ़ी आज़मी]]}}<poem>'''इब्ने-मरियम<ref>मरियम का बेटा अर्थात ईसा मसीह</ref>'''
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*तुम ख़ुदा हो ख़ुदा के बेटे होया फ़क़त<ref>केवल</ref> अम्न<ref>शांति</ref> के पयंबर<ref>अवतार</ref> होया किसी का हसीं तख़य्युल<ref>सुन्दर कल्पना</ref> होजो भी हो मुझ को अच्छे लगते होजो भी हो मुझ को सच्चे लगते हो
तुम ख़ुदा हो <br>इस सितारे में जिस में सदियों सेख़ुदा के बेटे होझूठ और किज़्ब<brref>या फ़क़त अमन के पयमबर होझूठ<br/ref>य किसी का हसीं तखय्युल हो<br>अंधेरा हैजो भी हो मुझ इस सितारे में जिस को अच्छे लगते होहर रुख़<brref>मुझ को सच्चे लगते होतरफ़<br><br/ref>सेरंगती सरहदों ने घेरा है
इस सितारे में , न जिस में सदियों से<br>की आबादीझूठ और किज़्ब का अंधेरा अम्न बोती है<br>इस सितारे में जिस को हर रुख़ से<br>रंगती सरहदों ने घेरा जंग काटती है<br><br>
इस सितारे मे, न जिस की आबादी<br>अमन बोती रात पीती है जंग काटती नूर मुखड़ों कासुबह सीनों का ख़ून चाटती है<br><br>
रात पीती है नूर मुखडो का<br>सुबह सीनों का ख़ून चाटती है<br><br>तुम न होते तो जाने क्या होता
तुम न होते तो जाने क्या होताइस सितारे मेंदेवता राक्षस ग़ुलाम इमामपारसा<brref>पवित्र</ref> रिंद<ref>शराबी</ref> रहबर<ref>मार्गदर्शक</ref> रहज़न<ref>लुटेरा</ref>बिरहमन शैख़ पादरी भिक्षुसभी होते मगर हमारे लियेकौन चढता ख़ुशी से सूली पर
तुम न होते तो इस सितारे झोंपडों में<br>घिरा ये वीरानादेवता राक्षस ग़ुलाम इमाम<br>मछलियाँ दिन में सूख़ती हैं जहाँपारसा रिंद रहबर रहज़न<br>बिल्लियाँ दूर बैठी रहती हैंबराह्मन शैख़ पादरी भिक्षुऔर ख़ारिशज़दा से कुछ कुत्तेलेटे रहते हैं बे-नियाज़ाना<brref>सभी होते मगर हमारे लियेनिश्चिंत<br/ref>कौन चढता ख़ुशी से सूली पर<br><br>दम मरोड़े के कोई सर कुचलेकाटना क्या ये भोँकते भी नहीं
झोंपडों में घिरा ये वीराना<br>और जब वो दहकता अंगारामछलियाँ दिन छन से सागर में सूख़ती डूब जाता हैतीरगी ओढ लेती है दुनियाकश्तियाँ कुछ किनारे आती हैं भांग गांजा चरस शराब अफ़ीमजो भी लायें जहाँ<br>से भी लायेंबिल्लियाँ दूर बैठी रहती दौड़ते हैं<br>और ख़ारिशज़दा इधर से कुछ कुत्ते<br>सायेलेटे रहते और सब कुछ उतार लाते हैं बे-नियाज़ाना<br>दम मरोड़े के कोई सर कुचले<br>काटना क्या ये भोँकते भी नहीं<br><br>
और जब वो दहकता अंगारा<br>छन से सागर में डूब जाता गाड़ी जाती हैअदल<brref>तीरगी ओढ लेती है दुनियान्याय<br/ref>कश्तियाँ कुछ किनारे आती हैं<brकी मीज़ान>भांग गांजा चरस शराब अफ़ीम<br>जो भी लायें जहाँ से भी लायें<br>दौड़ते हैं इधर से कुछ साये<br>और सब कुछ उतार लाते हैं<br><br>जिस का हिस्सा उसी को मिलता है
गाड़ी जाती है अदल की मीज़ान<br>जिस का हिस्सा उसी को मिलता है<br><br>तुम यहाँ क्यों खड़े हो मुद्दत से
तुम यहाँ क्यों खड़े हो मुद्दत से<br><br>ये तुम्हारी थकी-थकी भेड़ेंरात जिन को ज़मीं के सीने परसुबह होते उँडेल देती हैमंडियों दफ़्तरों मिलों की तरफ़हाँक देती ढकेल देती हैरास्ते में ये रुक नहीं सकतींतोड़ के घुटने झुक नहीं सकतीं
ये तुम्हारी थकी-थकी भेड़ें<br>इन से तुम क्या तवक़्क़ो रखते होरात जिन को ज़मीं भेड़िया इन के सीने पर<br>सुबह होते उँडेल देती साथ चलता है<br>मंडियों दफ़्तरों मिलों की तरफ़<br>हाँक देती ढकेल देती है<br>रास्ते में ये रुक नहीं सकतीं<br>तोड़ के घुटने झुक नहीं सकतीं<br><br>
इन से तुम क्या तवक़्क़ो रखते तकते रहते हो<br>उस सड़क की तरफ़भेड़िया इन के दफ़्न जिस में कई कहानियाँ हैंदफ़्न जिस में कई जवानियाँ हैंजिस पे इक साथ चलता है<br><br>भागी फिरती हैंख़ाली जेबें भी और तिजोरियाँ भी
तकते रहते हो उस सड़क की तरफ़<br>दफ़्न जिस में कई कहानियाँ हैं<br>दफ़्न जिस में कई जवानियाँ हैं<br>जिस पे इक साथ भागी फिरती हैं<br>ख़ाली जेबें भी और तिजोरियाँ भी<br><br>जाने किस का है इंतज़ार तुम्हें
जाने किस का है इंतज़ार तुम्हें<br><br>मुझ को देख़ो के मैं वही तो हूँजिस को कोड़ों की छाँव में दुनियाबेचती भी ख़रीदती भी थी
मुझ को देख़ो के मैं वही तो हूँ<br>जिस को कोड़ों की छाँव खेतों में दुनिया<br>ऐसे बाँधा थाबेचती भी ख़रीदती जैसे मैं उन का एक हिस्सा थाखेत बिकते तो मैं भी थी<br><br>बिकता था
मुझ को देख़ो के मैं वही तो हूँ<br>जिस को खेतों में ऐसे बाँधा था<br>कुछ मशीनें बनाई जब मैंनेजैसे मैं उन का एक हिस्सा था<br>मशीनों के मालिकों ने मुझेखेत बिकते तो बे-झिझक उनमें ऐसे झौंक दियाजैसे मैं भी बिकता था<br><br>कुछ नहीं हूँ ईंधन हूँ
मुझ को देख़ो देखो के मैं वही तो हूँ<br>थका हाराकुछ मशीनें बनाई जब मैंने<br>उन मशीनों के मालिकों ने मुझे<br>बे-झिझक उनमें ऐसे झौंक दिया<br>जैसे मैं कुछ नहीं हूँ ईंधन फिर रहा हूँ<br><br>युगों से आवारा
मुझ को देखो के मैं थका हारा<br>फिर रहा हूँ युगों तुम यहाँ से आवारा<br><br>हटो तो आज की रातसो रहूँ मैं इसी चबूतरे पर
तुम यहाँ से हटो तो आज की रात<br>सो रहूँ मैं इसी चबूतरे पर<br><br>ख़ुदा के लिये
तुम यहाँ से हटो ख़ुदा जाओ वो विएतनाम के लियेजंगलउस के मस्लूब<brref>सूली पर चढ़ाए गए<br/ref>शहर ज़ख़्मी गाँवजिन को इंजील<ref>बाइबल</ref> पढ़ने वालों नेरौंद डाला है फूँक डाला हैजाने कब से पुकारते हैं तुम्हें
जाओ वो विएतनाम के जंगल<br>इक बार फिर हमारे लियेउस के मस्लूब शहर ज़ख़्मी गाँव<br>जिन तुम को इंजील पड़ने वालों ने<br>रौंद डाला है फूँक डाला है<br><br>चढ़ना पड़ेगा सूली पर
जाने कब से पुकारते हैं तुम्हें<br><br>{{KKMeaning}} जाओ इक बार फिर हमारे लिये<br>तुम को चढ़ना पड़ेगा सूली पर<br><br><br> फ़क़त=सिर्फ़ ; पयम्बर=अवतार ; तखय्युल=कल्पना ; किज़्ब= झूठ ; रुख=तरफ़ ; नूर=ज्योती ; पारसा=पवित्र ; रहबर=पथ-प्रदर्शक ; रहज़न=लुटेरे ; ख़ारिशज़दा=खुजली से पीडित ; बे-नियाज़ाना=निश्चिन्त ; अदल=न्याय ; खयानत=बेइमानी ; मस्लूब=सलीब पर चढाये गये ; इंजील=बाइबल<br><br/poem>