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प्रेयसी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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09:23, 19 जनवरी 2015
घेर अंग-अंग को
लहरी तरंग वह प्रथम तारुण्य की,
ज्योतिर्मीयिलता
ज्योतिर्मयि-लता
-सी हुई मैं तत्काल
घेर निज तरु-तन।
Sharda suman
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