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"ईसुरी की फाग-16 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर
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ऎसी पिचकारी की घालन, कहाँ सीख लई लालन | ऎसी पिचकारी की घालन, कहाँ सीख लई लालन | ||
16:48, 23 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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ऎसी पिचकारी की घालन, कहाँ सीख लई लालन
कपड़ा भींज गये बड़-बड़ के, जड़े हते जर तारन
अपुन फिरत भींजे सो भींजे, भिंजै जात ब्रज-बालन
तिन्नी तरें छुअत छाती हो, लगत पीक गइ गालन
ईसुर अज मदन मोहन नें, कर डारी बेहालन ।