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<div style="background:#dddtransparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px 0px inset #aaa; padding:10px">
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलेंखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<divstyle="text-align: center;">रचनाकार: [[माखनलाल चतुर्वेदीत्रिलोचन]]
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<poemdiv style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलेंखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वारतेरा चौड़ा छाताअपरिचित पास आओरे जन-गण के भ्राताशिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़तेआँखों में सशंक जिज्ञासाभू-स्वामीमिक्ति कहाँ, निर्माता !है अभी कुहासाकीच, धूलजहाँ खड़े हैं, गन्दगी बदन परपाँव जड़े हैंलेकर ओ मेहनतकश!स्तम्भ शेष भय की परिभाषागाता फिरे विश्व में भारततेरा ही नवहिलो-श्रम-यश !तेरी मिलो फिर एक मुस्कराहट परडाल केवीर पीढ़ियाँ फूलें ।ये अनाज की पूलेंतेरे काँधें झूलें !इन भुजदंडों पर अर्पितसौखिलो फूल-सौ युगसे, सौ-सौ हिमगिरीमत अलगाओसौ-सौ भागीरथी निछावरतेरे कोटि-कोटि शिर !ये उगी बिन उगी फ़सलेंतेरी प्राण कहानीहर रोटी ने, रक्त बूँद नेतेरी छवि पहचानी !वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथासूर्य तुम्हारा रथ है,बीहड़ काँटों भरा कीचमयएक तुम्हारा पथ है ।यह शासन, यह कला, तपस्यातुझे कभी मत भूलें ।ये अनाज सबमें अपनेपन की पूलेंमायातेरे काँधे झूलें ! अपने पन में जीवन आया </poemdiv>
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