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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">धारखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<divstyle="text-align: center;">रचनाकार: [[अरुण कमलत्रिलोचन]]
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<poemdiv style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">कौन बचा है जिसके आगेखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वारइन हाथों को नहीं पसाराअपरिचित पास आओ
यह अनाज जो बदल रक्त आँखों मेंसशंक जिज्ञासाटहल रहा मिक्ति कहाँ, है तन के कोने-कोनेअभी कुहासायह कमीज़ जो ढाल बनी हैजहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैंबारिश सरदी लू मेंस्तम्भ शेष भय की परिभाषासब उधार का, माँगा चाहाहिलो-मिलो फिर एक डाल केनमकखिलो फूल-तेलसे, हींग-हल्दी तकसब कर्जे कायह शरीर भी उनका बंधकमत अलगाओ
अपना क्या है इस सबमें अपनेपन की मायाअपने पन में जीवन मेंसब तो लिया उधारसारा लोहा उन लोगों काअपनी केवल धार । आया </poemdiv>
</div></div>