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तुम सामने आते हो पहलू बदल बदल कर</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
 
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रचनाकार: [[सुरेश सलिल]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
तुम सामने आते हो पहलू बदल-बदल कर
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
बिजली-सी गिराते हो पहलू बदल-बदल कर
+
अपरिचित पास आओ
  
इस आइने में देखूँ - उस आइने में देखूँ
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
कुछ राज़ छिपाते हो पहलू बदल-बदल कर
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
 +
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
 +
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
 +
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
पहलू बदल-बदल कर इक़रार-ए-इश्क़ कैसा
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सबमें अपनेपन की माया
उँगली पे' नचाते हो, पहलू बदल-बदल कर
+
अपने पन में जीवन आया
 
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तुमको ही रिझाने को, ये सारी ग़ज़लगोई
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हर शे'र में आते हो, पहलू बदल-बदल कर
+
 
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इर्शाद-ओ-मुक़र्रर की उम्मीद कौन बाँधे
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जब शमअ हटाते हो, पहलू बदल-बदल कर
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(रचनाकाल : 2003)
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया