<div style="background:#eee; padding:10px">
<div style="background: #ffftransparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
तुम सामने आते हो पहलू बदल बदल करखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[सुरेश सलिलत्रिलोचन]]
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 0 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>तुम सामने आते हो पहलू बदल-बदल करखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वारबिजली-सी गिराते हो पहलू बदल-बदल करअपरिचित पास आओ
इस आइने आँखों में देखूँ सशंक जिज्ञासामिक्ति कहाँ, है अभी कुहासाजहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैंस्तम्भ शेष भय की परिभाषाहिलो- उस आइने में देखूँमिलो फिर एक डाल केकुछ राज़ छिपाते हो पहलू बदलखिलो फूल-बदल करसे, मत अलगाओ
पहलू बदल-बदल कर इक़रार-ए-इश्क़ कैसासबमें अपनेपन की मायाउँगली पे' नचाते हो, पहलू बदल-बदल कर तुमको ही रिझाने को, ये सारी ग़ज़लगोईहर शे'र अपने पन में आते हो, पहलू बदल-बदल कर इर्शाद-ओ-मुक़र्रर की उम्मीद कौन बाँधेजब शमअ हटाते हो, पहलू बदल-बदल कर (रचनाकाल : 2003) जीवन आया
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