<div style="background:#eee; padding:10px">
<div style="background: #ffftransparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
मौसियाँखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[अनामिकात्रिलोचन]]
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 0 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>वे बारिश में धूप की तरह आती हैं -–थोड़े समय के खुले तुम्हारे लिए और अचानकहाथ हृदय के बुने स्वेटर, इन्द्रधनुष, तिल के लड्डूऔर सधोर की साड़ी लेकरवे आती हैं झूला झुलानेपहली मितली की ख़बर पाकरऔर गर्भ सहलाकरलेती हैं अन्तरिम रपटद्वारगृहचक्र, बिस्तर और खुदरा उदासियों की ।अपरिचित पास आओ
झाड़ती आँखों में सशंक जिज्ञासामिक्ति कहाँ, है अभी कुहासाजहाँ खड़े हैं जाले, संभालती पाँव जड़े हैं बक्सेमेहनत से सुलझाती हैं भीतर तक उलझे बालस्तम्भ शेष भय की परिभाषाकर देती हैं चोटीहिलो-पाटीमिलो फिर एक डाल केऔर डाँटती भी जाती हैं कि री पगली तूकिस धुन में रहती हैकि बालों की गाँठें भी तुझसेठीक खिलो फूल-से निकलती नहीं ।, मत अलगाओ
बालों के बहानेवे गाँठें सुलझाती हैं जीवन सबमें अपनेपन कीमायाकरती हैं परिहास, सुनाती हैं क़िस्सेऔर फिर हँसती-हँसातीदबी-सधी आवाज़ अपने पन में बताती जाती हैं -–चटनी-अचार-मूंग-बड़ियाँ और बेस्वाद सम्बन्धचटपटा बनाने के गुप्त मसाले और नुस्खे -–सारी उन तकलीफ़ों के जिन परध्यान भी नहीं जाता औरों का । आँखों के नीचे धीरे-धीरेजिसके पसर जाते हैं साएऔर गर्भ से रिसते हैं महीनों चुपचाप -–ख़ून के आँसू-सेचालीस के आसपास के अकेलेपन के उनकाले-कत्थई चकत्तों कामौसियों के वैद्यक मेंएक ही इलाज है -–हँसी और कालीपूजाऔर पूरे मोहल्ले की अम्मागिरी । बीसवीं शती की कूड़ागाड़ीलेती गई खेत से कोड़कर अपनेजीवन की कुछ ज़रूरी चीज़ें -–जैसे मौसीपन, बुआपन, चाचीपन्थी,अम्मागिरी मग्न सारे भुवन की । आया
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