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ये ज़िन्दगी / निदा फ़ाज़ली

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शायर: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= निदा फ़ाज़ली]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}[[Category:निदा फ़ाज़ली]]<poem>ये ज़िन्दगी आज जो तुम्हारे बदन की छोटी-बड़ी नसों में मचल रही है तुम्हारे पैरों से चल रही है तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*ये ज़िन्दगी जाने कितनी सदियों से यूँ ही शक्लें बदल रही है
बदलती शक्लों बदलते जिस्मों में चलता-फिरता ये ज़िन्दगी <br>इक शरारा आज जो तुम्हारे <br>इस घड़ी बदन की छोटी-बड़ी नसों में <br>मचल रही नाम है <br>तुम्हारा तुम्हारे पैरों इसी से चल रही सारी चहल-पहल है <br>तुम्हारी आवाज़ में ग़ले इसी से निकल रही है <br>तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही रोशन है हर नज़ारा
सितारे तोड़ो या घर बसाओ
क़लम उठाओ या सर झुकाओ
ये ज़िन्दगी <br>तुम्हारी आँखों की रोशनी तक जाने कितनी सदियों से <br>यूँ ही शक्लें <br>बदल रही है खेल सारा
 बदलती शक्लों <br>बदलते जिस्मों में <br>चलता-फिरता ये इक शरारा <br>जो इस घड़ी <br>नाम है तुम्हारा <br>इसी से सारी चहल-पहल है <br>इसी से रोशन है हर नज़ारा   सितारे तोड़ो या घर बसाओ <br>क़लम उठाओ या सर झुकाओ   तुम्हारी आँखों की रोशनी तक <br>है खेल सारा   ये खेल होगा नहीं दुबारा <br>
ये खेल होगा नहीं दुबारा
</poem>
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