Changes
1,647 bytes added,
11:14, 1 अप्रैल 2015
जिनके घर
बने हुए शीशे के
लगाते पर्दे
'''डर'''
घर-घर में
फैला रहे हैं डर
उल्लू नहीं होंगे तो
भला क्या होंगे
'''किसे पता है'''
किसे पता है
नाचे कृष्ण-मुरारी
वृन्दावन में
'''मैया'''
लगे अधूरा
यह घर, संसार
मैया के बिना
'''आग'''
घोंसले जले
आग से जंगल में
भागे परिंदे
'''प्रेमी'''
प्रेमी युगल
अक्सर मुस्काते हैं
मन ही मन
'''प्रश्न'''
प्रश्न यह है
कब तक जिएंगे
मर-मर के
'''चलते रहे'''
अजाने रास्ते
चलते रहे पाँव
ज़िंदगी भर
'''आखिर फिर'''
आखिर फिर
फूल हुए शिकार
पतझड़ में
'''अजब राग'''
अजब राग
अपने-अपने का
बजाते लोग
'''प्रतिनिधि'''
पण्डे कहते
खुद को प्रतिनिधि
भगवान का
'''खाता'''
दर्ज बही में
हम सब का खाता
होता भी है क्या ?
'''सफर'''
आफ़त आयी
'''आदेशपहल'''
आदेश हुआपहल हुई
महिला हो मुखिया
कागज़ पर
'''नदिया'''
नदिया चली
तटों से गले मिल
पिया के घर
'''तारे'''
रास्ता दिखाते
जगमगाते तारे
रोड किनारे
'''उसूल'''
कैसा उसूल
पत्थरों के हवाले
मासूम फूल
</poem>