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जिनके घर
बने हुए शीशे के
लगाते पर्दपर्दे
'''डर'''
वृन्दावन में
'''माँमैया'''
लगे अधूरा
यह घर, संसार
माँ मैया के बिना
'''आग'''
'''प्रेमी'''
 
प्रेमी युगल
अक्सर मुस्काते हैं
बजाते लोग
'''अधिवक्ताप्रतिनिधि'''
पण्डे कहते
खुद को अधिवक्ता प्रतिनिधि
भगवान का
हम सब का खाता
होता भी है क्या ?
 
'''सफर'''
आफ़त आयी
'''आदेशपहल'''
आदेश हुआपहल हुई
महिला हो मुखिया
कागज़ पर
 
'''नदिया'''
 
नदिया चली
तटों से गले मिल
पिया के घर
 
'''तारे'''
 
रास्ता दिखाते
जगमगाते तारे
रोड किनारे
 
'''उसूल'''
 
कैसा उसूल
पत्थरों के हवाले
मासूम फूल
</poem>
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