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लेखक: [[रामधारी सिंह "दिनकर"]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=रामधारी सिंह "'दिनकर"]]'|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyDeshBkthi}}<poem>नमो, नमो, नमो...
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!नमो नगाधिराज-शृंग की विहारिणी!नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकारप्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदारसत्य न्याय के हेतु, फहर फहर ओ केतुहम विरचेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतुपवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो।<br><br>नमो, नमो!
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजातार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, नमोतुम्हारा त्यागदहक रही है आज भी, नमो !<br>नमो नगाधिराज - श्रृंग तुम में बलि की विहारिणी !<br>आगनमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!<br>सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़प्रणय-प्रसारिणीकौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, नमो अरिष्ट-वारिणी!<br>तुम्हारी ओरनमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणीकरते तव जय गान, वीर हुए बलिदानअंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!<br>नवीन सूर्य प्रताप की नयी प्रभाविभा, कृषानुजा,नमो, नमो!<br><br>
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।<br>प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।<br>सत्य न्याय के हेतु<br>फहर फहर ओ केतु<br>हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु<br>पवित्र सौम्य, शांति नमो स्वतंत्र भारत की शिखाध्वजा, नमो, नमो!<br><br> तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!<br>दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।<br>सेवक सैन्य कठोर<br>हम चालीस करोड़<br>कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर<br>करते तव जय गान<br>वीर हुए बलिदान,<br>अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!<br>प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!<br><br/poem>