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अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कडअक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कडदोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट स िbौटसे लौटे,ि ठाट स िbौटठाठ से लौटे,ि एक साथ एक हाट स िbौट,ि बाट से लौटे।
~ात ~ात ‘ें ~ात बात-बात में बात ठन गईगयी, ~ाँह उठी बांह उठीं और ‘ूँछ ितन गई, मूछें तन गयीं।इसन िउसकी इसने उसकी गर्दन भीचीभींची, उसन िइसकी उसने इसकी दाढी खींची, खींची।
अ~ अब वह जीता, अ~ वह अब यह जीता, ;दानिों दोनों का चb डिा ’जीता, बढ चला फ़जीता;bागि त‘ाशाई जा िठहर,ि लोग तमाशाई जो ठहरे स~क िेखb िहुए थ िचहिर,ि सबके खिले हुए थे चेहरे!
‘गर उन‘ें मगर एक कोई था काईि ’क्कडफक्कड़, ‘न मन का राजा कर्राक³कड, कर्रा - कक्कड़;~डी भीड का िचीरबढा भीड़ को चीर-चार कर, ~ाbिा ठहरों गbा ’ाड कर, बोला ‘ठहरो’ गला फाड़ कर।
उसन िकहा सधी ~ाणी ‘ेंअक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, डु~ा िचुल्bुभर ािनी ‘ेंदोनों मूरख, दोनों अक्खड़, ताकत bडन ि‘ें ‘त खाआिगर्जन गूंजी, रुकना पड़ा,ि चbा िभाई चारें का ि~ाआि ि। सही बात पर झुकना पड़ा!
खाbी स~ ‘ैदान डिा हैउसने कहा सधी वाणी में, आ’त का शैतान खडा है, डूबो चुल्लू भर पानी में;ताकत एसि िही ‘त खाआि,ि लड़ने में मत खोओचbा िभाई चार िका ि~ाआि ि। चलो भाई चारे को बोओ!
सुनी ‘ुर्खो न िज~ ¶ह ~ाणीखाली सब मैदान पड़ा है, दानिा िजैस िािनी - ािनीआफ़त का शैतान खड़ा है, bडना छाडिा अbग हट गएताकत ऐसे ही मत खोओ, bागि शर्‘ स िगb िछट गए, चलो भाई चारे को बोओ।
स~का िनाहक bडना अखरा, सुनी मूर्खों ने जब यह वाणीताकत भूb गई त~ नखरा, गb िे‘b ित~ अ³कडदोनों जैसे पानी-~³कड, पानीलड़ना छोड़ा अलग हट गएखत्‘ हा िग¶ा धुb ‘ें ध³कड, लोग शर्म से गले छट गए।
अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड, सबकों नाहक लड़ना अखरादानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड ।ताकत भूल गई तब नखरागले मिले तब अक्कड़-बक्कड़खत्म हो गया तब धूल में धक्कड़
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़
दोनों मूरख, दोनों अक्खड़।
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