भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कीड़े / ओरहान वेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |अनुवादक=सिद्धेश्वर स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
सोचो नहीं | सोचो नहीं | ||
बस, | बस, | ||
− | + | घूमो-फिरो | |
देखो, | देखो, |
14:12, 30 जून 2015 के समय का अवतरण
सोचो नहीं
बस,
घूमो-फिरो
देखो,
कीड़े भी करते हैं
ऐसा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह