{{KKRachna
|रचनाकार=मन्नन द्विवेदी गजपुरी
|संग्रह=बाल विनोद / मन्नन द्विवेदी गजपुरी
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<poem>
‘विनती विनती सुन लो हे भगवान,::::हम सब बालक हैं नादान।।१।।नादान।विद्या -बुद्धि नहीं है कुछ पास,::::हमें बना लो अपना दास।।२।।पैदा तुमने किया सभी को ,::::रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,::::पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।दास।
बुरे काम से हमें बचाना,
::::खूब पढ़ाना , खूब लिखाना।।५।।बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,::::मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।कितना भी बढ़ जावैगे हम,::::तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।लिखाना।
हमें सहारा देते रहना,
::::खबर हमारी लेते रहना ।।८।।रहना।लो फिर शीस तुमको शीश नवाते हैं हम,::::विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।हम।
</poem>