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− | खिड़कीसँ नीचाँ | + | खिड़कीसँ नीचाँ ससरिकय |
इजोरिया | इजोरिया | ||
− | पसरि गेल अछि | + | पसरि गेल अछि हरसिंगारक झमटगर |
− | हरसिंगारक झमटगर छाहरिमे | + | छाहरिमे |
− | + | केबाड़क दोगमे नुका रहल अछि | |
हमरे कोनो कविताक | हमरे कोनो कविताक | ||
− | एकटा नवीन पाँती | + | एकटा नवीन पाँती... |
− | जेना हँसइत हो खिल | + | जेना हँसइत हो खिल खिल हमरे दुलारि |
− | एहि जाड़मे बन्हने गाँती | + | कन्या एहि जाड़मे बन्हने गाँती |
− | आब जँ निन्न नहि भेल | + | आब जँ निन्न नहि भेल जीवन भरि |
− | जीवन भरि | + | जागल रहि जायब |
− | जागल रहि | + | जीवन भरि एहि झमटगर छाहरिक |
− | जीवन | + | प्रत्याशामे |
− | एहि झमटगर छाहरिक प्रत्याशामे | + | लागल रहि जायब |
− | लागल रहि | + | |
− | + | ''(रामकृष्ण झा ‘किसुन’ संपादित ‘मैथिलीक नव कविता’सँ, 1971)'' | |
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11:50, 5 अगस्त 2015 के समय का अवतरण
खिड़कीसँ नीचाँ ससरिकय
इजोरिया
पसरि गेल अछि हरसिंगारक झमटगर
छाहरिमे
केबाड़क दोगमे नुका रहल अछि
हमरे कोनो कविताक
एकटा नवीन पाँती...
जेना हँसइत हो खिल खिल हमरे दुलारि
कन्या एहि जाड़मे बन्हने गाँती
आब जँ निन्न नहि भेल जीवन भरि
जागल रहि जायब
जीवन भरि एहि झमटगर छाहरिक
प्रत्याशामे
लागल रहि जायब
(रामकृष्ण झा ‘किसुन’ संपादित ‘मैथिलीक नव कविता’सँ, 1971)