Changes

तुम रोशनी / शंकरानंद

818 bytes added, 07:21, 16 अगस्त 2015
तुमने तो मौसम को बदल दिया है
चुपके-चुपके बिना बताए ।
 
तब
असंख्य बार मैंने गिनना चाहा
लेकिन तारे कभी उँगली पर नहीं आए
 
हमेशा बाहर रहे और उनका टिमटिमाना
धूल ने भी अपने पानी में देखा
 
बच्चे जब-जब थके
बैठ गए अगली रात के इंतज़ार में और
फिर निराश हुए
ये तारे फिर नहीं गिने गए
 
ये तारे जहाँ रहे
कभी झाँसे में नहीं आए किसी के
 
वरना जिनके पास ताक़त है
उनकी जेबों में टिमटिमाते रहते ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,443
edits