Changes

|रचनाकार=श्यामनन्दन किशोर
}}
{{KKCatKavita}}{{KKCatGeet}}<poem>शुद्ध सोना क्यों बनाया, प्रभु, मुझे तुमने,<br>कुछ मिलावट चाहिए गलहार होने के लिए।<br><br>
जो मिला तुममें , भला क्या<br>भिन्नता का स्वाद जाने,<br>जो नियम में बंध बँध गया<br>,वह क्या भला अपवाद जाने!<br><br>
जो रहा समकक्ष, करुणा की मिली कब छांह छाँह उसको<br>,कुछ गिरावट चाहिए, उद्धार होने के लिए।<br><br>लिए!
जो अजन्मा हैहैं, उन्हें इस<br>इंद्रधनुषी इन्द्रधनुषी विश्व से संबंध सम्बन्ध क्या!<br>जो न पीड़ा झेल पाये पाएँ स्वयं,<br>दूसरों के लिए उनको द्वंद्व द्वन्द्व क्या!<br><br>
एक स्रष्टा शून्य को श्रृंगार शृंगार सकता है<br>,मोह कुछ तो चाहिए, साकार होने के लिए!<br><br>
क्या निदाघ निदाध नहीं प्रलासी प्रवासी बादलों से<br>खींच सावन -धार लाता है!<br>निर्झरों के पत्थरों पर गीत लिक्खे<br>क्या नहीं फेनिल, मधुर संघर्ष गाता है!<br><br>
है हैं अभाव जहाँ, वहीं है हैं भाव दुर्लभ -<br>कुछ विकर्षण चाहिए ही, प्यार होने के लिए!<br><br>
वाद्य यंत्र न दृष्टि पथ, पर हो,<br>(23.9.1974)मधुर झंकार लगती और भी!<br>विरह के मधुवन सरीखे दीखते<br>हैं क्षणिक सहवास वाले ठौर भी!<br><br> साथ रहने पर नहीं होती सही पहचान!<br>चाहिए दूरी तनिक, अधिकार होने के लिए!<br><br/poem>