"पाछो कुण आसी... / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=पाछो कुण आसी }} Ca...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=नीरज दइया | |रचनाकार=नीरज दइया | ||
− | |संग्रह=पाछो कुण आसी | + | |संग्रह= पाछो कुण आसी / नीरज दइया |
}} | }} | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] |
05:51, 3 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
थांरै छोड़्या-छिटकायां
च्यार दिन पछै मरता
मर जासां च्यार दिन पैली...।
बोलणियां नैं कुण बरजै
बात-बात में मीन-मेख चोखी बात कोनी
अगूण री हवा आथूण आवै-जावै तो दोस किण रो
आज तांई गाया-गाया गीत, जियां गवाया थे
गावतां रैसां म्हे !
करण नैं तो घणो कीं करियो जाय सकै
अेक चकारियो छोड’र जाय सकां दूजै मांय
जरूरी कोनी कै रैवां आपां चकारियां मांय
मरण सूं पैली बोल्यो जाय सकै है साच
अर क्यूं उडीकै कोई मरण नैं ....
समझ लै आ बात / साच बोलां जीवण मांय सार।
बो जिको दाय हो म्हैं आपनैं
अबै हुयग्यो हेत छांय-मांय
स्सौ कीं है जिको अळसीज्योड़ो अर बेकार
कांई बिसराय दी ओळूं भलै दिनां री
जे बोलण है तो गुळलपटी बातां छोड़’र साफ-साफ कैवो नीं।
साच है जे मांय काळजै चेप्योड़ो, बोल हुवो नचीत....
काल पतियारो हुसी इण साच रो
हेत है इण रूपाळी दुनिया सूं
अठै खांडी कोनी हुवै कोई कोर
च्यार दिन पैली मरण सूं.....
पाछो कुण आसी
जे आ ई बात है तो कर लां हिसाब
अबै जिका रैया है दोय दिन बाकी
दो दिन खुल्ला छोड़ दो, जीवण खातर
आंगळी कद तांई पकड़’र चालसां
अर कित्ता दिन रैसी आ आंगळी
खारा खारा म्हांनै ना देखो...
निजर फोर ली हो जद
देखो कीं और जिको दाय है
मन सूं उतरियां हींडो किण खातर
थे नीं तो कांई कोई तो है साथै
राम-राम बोलणो आवै...
मारग मांय मिल जासी सागो
अबै जीवण दो, मुळकण दो
बात बात में ना अटकाओ टांग,
जातरा खातर राखो संभाळ’र
थोड़ा’क काढां दांत, तद आंख्यां क्यूं काढो.....
कैयोड़ी साच हुयगी तो भरीजैला आंख्यां
अंत-पंत थे भाठा कोनी मिनख हो माइतां!
अर भलै मिनखां!
थांरी नफरत अर गफलत सूं पाळता सैंध
भेळै पाळी है अणमाप अपणायत
कीं हेत लुको राख्यो है अदीठ ऊंडै अंतस मांय
थे थांरै चकारियै में रैया... भलो!
घणा भला हो थे
ठाह नीं किसी माटी सूं घड़ीज्या हो
ना जीवण री बात में बोलो
ना मरण री बात में चुस्को!
वा... च्यार दिन पछै मरता,
मर जासां च्यार दिन पैली
करता जावां आ अरदास-
थे अमर रैया, कदैई ना मरिया...
संभाळ लिया हेत म्हारो,
..... अर नीं तो काढ दिया हेत रै च्यारूमेल अेक चकारियो।
लोक देखापै री थांरी अपणायत नैं लेय’र जासां म्हैं
म्हारै भेळै.... म्हारै पांती
ओ सुख कांई कम है...!
कोई ओळमो कोनी थांनै
मिल्यो जित्तै में रंज जासां
अबै कीं कोनी मांगा
सबूरी राखणी खासियत म्हांरी
कारण पाछो कुण आसी...
अठै जाणलो किण नैं कुण छोड़सी
खोस लेसी आ दुनिया स्सौ की!
खोस लेसी आ दुनिया स्सौ कीं!!
स्सौ कीं....?
इण खोसा-साखी मांय ओळूं कठै जासी...!