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"वसन्त विहार / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=जीर्ण जनपद / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
 
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ऋतु बसन्त मैं पत्र पुष्प के विविध खिलौने।
 
ऋतु बसन्त मैं पत्र पुष्प के विविध खिलौने।

12:37, 2 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

ऋतु बसन्त मैं पत्र पुष्प के विविध खिलौने।
आभूषण त्यों रचत छरी अरु छत्र बिछौने॥
भाँति भाँति के फल चुनि सब मिलि खात प्रहर्षित।
नव कुसुमित पल्लवित बनन बागन बिहरत नित॥
कोऊ काले भौंरन ही हेरैं दौरावैं।
पकरैं भाँति भाँति तितली कोउ ल्याय सजावैं॥
ग्रीषम मैं जब चलैं बवण्डर भारी भारी।
दौरैं हम सब ताके संग बजावत तारी॥
पकरत फनगे मुकुलित मंदारन सों आनत।
ताकी कटि मैं कसि कसि डोरी बिधि सों बाँधत॥
ताहि उड़ावत कोउ मदार फल कोऊ ल्यावैं।
गेंद खेल खेलैं तिहिसों सब मिलि हरखावैं॥