Changes

प्रार्थना - 1 / प्रेमघन

10 bytes added, 07:14, 2 फ़रवरी 2016
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavitaKKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
ही मैं धारे स्याम रंग ही को हरसावै जग,
::भरै भक्ति सर तोपि तोषि कै चतुर चातकन।
भूमि हरिआवै कविता की कवि दोष ताप,
::हरि नागरी की चाह बाढ़ै जासो छन छन॥
::सुनि जाहि रसिक मुदित नाचै मोर मन।
बरसत सुखद सुजस रावरे को रहै,
::कृपा वारि पूरित सदा ही यह प्रेमधन॥प्रेमघन॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits