: 12 अक्तूबर 1938
निदा से उनकी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी या आँकड़े निकलवाना बहुत ही कठिन और असंभव सा ही है। [[दिल्ली]] में पिता [[मुर्तुज़ा हसन ]] और माँ जमील फ़ातिमा के घर माँ की इच्छा के विपरीत तीसरी संतान नें जन्म लिया जिसका नाम बड़े भाई के नाम के क़ाफ़िये से मिला कर '''मुक़्तदा हसन''' रखा गया। दिल्ली कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड में इनके जन्म की तारीख १२ अक्टूबर १९३८ (12 Oct 1938) लिखवा दी गई। पिता स्वयं भी शायर थे। इन्होने अपना बाल्यकाल [[ग्वालियर]] में गुजारा जहाँ पर उनकी शिक्षा हुई। उन्होंने १९५८ में ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करी।<br>
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वो छोटी उम्र से ही लिखने लगे थे। निदा फ़ाज़ली इनका लेखन का नाम है। निदा का अर्थ है स्वर/ आवाज़/ Voice। फ़ाज़िला क़श्मीर के एक इलाके का नाम है जहाँ से निदा के पुरखे आकर दिल्ली में बस गए थे, इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फ़ाज़ली जोड़ा।<br>
* होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है (फ़िल्म सरफ़रोश)
* कभी किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता (फ़िल्म आहिस्ता-आहिस्ता) (पुस्तक '''मौसम आते जाते हैं''' से)
* तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है (फ़िल्म आहिस्ता-आहिस्ताआप तो ऐसे न थे)
* चुप तुम रहो, चुप हम रहें (फ़िल्म इस रात की सुबह नहीं)
* दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है (ग़ज़ल)
* हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (ग़ज़ल)
* अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये (ग़ज़ल)
* टीवी सीरियल '''सैलाब''' का शीर्षक गीत
===काव्य संग्रह===