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"रैदास" के अवतरणों में अंतर

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{{KKGlobal}}
।। राग रामकली।।
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|चित्र=Raidas.jpg
== Headline text ==
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|नाम=रैदास, रविदास
 
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परचै रांम रमै जै कोइ।
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पारस परसें दुबिध न होइ।। टेक।।
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|कृतियाँ=
जो दीसै सो सकल बिनास, अण दीठै नांही बिसवास।
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|विविध=भक्तिकालीन संत कवि। [[मीराबाई]] रैदास जी को अपना गुरु मानती थीं। गुरु रविदास की कुछ रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित की गई हैं।
 
+
|अंग्रेज़ीनाम=Raidas, Guru Ravidas
बरन रहित कहै जे रांम, सो भगता केवल निहकांम।।१।।
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|जीवनी=[[रैदास / परिचय]]
 
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}}
फल कारनि फलै बनराइं, उपजै फल तब पुहप बिलाइ।
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{{KKCatUttarPradesh}}
 
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{{KKCatBhaktiKaaleenRachnakaar‎}}
ग्यांनहि कारनि क्रम कराई, उपज्यौ ग्यानं तब क्रम नसाइ।।२।।
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{{KKCatSantKavi}}
 
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====रैदास की पदावली====
बटक बीज जैसा आकार, पसर्यौ तीनि लोक बिस्तार।
+
* [[रैदास के दोहे /  रैदास]]
 
+
* [[प्रभु जी तुम चंदन हम पानी / रैदास]]
जहाँ का उपज्या तहाँ समाइ, सहज सुन्य में रह्यौ लुकाइ।।३।।
+
* [[प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी / रैदास]]
 
+
* [[परचै राम रमै जै कोइ / रैदास]]
जो मन ब्यदै सोई ब्यंद, अमावस मैं ज्यू दीसै चंद।
+
* [[अब मैं हार्यौ रे भाई / रैदास]]
 
+
* [[गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ / रैदास]]
जल मैं जैसैं तूबां तिरै, परचे प्यंड जीवै नहीं मरै।।४।।
+
* [[राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ / रैदास]]
 
+
* [[अब मोरी बूड़ी रे भाई  / रैदास]]
जो मन कौंण ज मन कूँ खाइ, बिन द्वारै त्रीलोक समाइ।
+
* [[तेरा जन काहे कौं बोलै / रैदास]]
 
+
* [[भाई रे भ्रम भगति सुजांनि / रैदास]]
मन की महिमां सब कोइ कहै, पंडित सो जे अनभै रहे।।५।।
+
* [[त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे  / रैदास]]
 
+
* [[आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां  / रैदास]]
कहै रैदास यहु परम बैराग, रांम नांम किन जपऊ सभाग।
+
* [[भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो / रैदास]]
 
+
* [[ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै / रैदास]]
ध्रित कारनि दधि मथै सयांन, जीवन मुकति सदा निब्रांन।।६।।
+
* [[अखि लखि लै नहीं / रैदास]]
 
+
* [[नरहरि चंचल मति मोरी / रैदास]]
 
+
* [[राम बिन संसै गाँठि न छूटै / रैदास]]
२.
+
* [[तब राम राम कहि गावैगा / रैदास]]
।। राग रामकली।।
+
* [[संतौ अनिन भगति / रैदास]]
 
+
* [[ऐसी भगति होइ रे भाई / रैदास]]
अब मैं हार्यौ रे भाई।
+
* [[भगति ऐसी सुनहु रे भाई / रैदास]]
 
+
* [[अब कुछ मरम बिचारा / रैदास]]
थकित भयौ सब हाल चाल थैं, लोग न बेद बड़ाई।। टेक।।
+
* [[नरहरि प्रगटसि / रैदास]]
 
+
* [[त्यू तुम्ह कारन केसवे / रैदास]]
थकित भयौ गाइण अरु नाचण, थाकी सेवा पूजा।
+
* [[गौब्यंदे भौ जल / रैदास]]
 
+
* [[कहा सूते मुगध नर / रैदास]]
काम क्रोध थैं देह थकित भई, कहूँ कहाँ लूँ दूजा।।१।।
+
* [[कांन्हां हो जगजीवन / रैदास]]
 
+
* [[सेई मन संमझि / रैदास]]
रांम जन होउ न भगत कहाँऊँ, चरन पखालूँ न देवा।
+
* [[है सब आतम सोयं / रैदास]]
 
+
* [[कोई सुमार न देखौं / रैदास]]
जोई-जोई करौ उलटि मोहि बाधै, ताथैं निकटि न भेवा।।२।।
+
* [[पहलै पहरै रैंणि / रैदास]]
 
+
* [[देवा हम न पाप / रैदास]]
पहली ग्यांन का कीया चांदिणां, पीछैं दीया बुझाई।
+
* [[या रमां एक तूं दांनां / रैदास]]
 
+
* [[अब हम खूब बतन / रैदास]]
सुनि सहज मैं दोऊ त्यागे, राम कहूँ न खुदाई।।३।।
+
* [[राम गुसईआ जीअ के जीवना / रैदास]]
 
+
* [[सगल भव के नाइका / रैदास]]
दूरि बसै षट क्रम सकल अरु, दूरिब कीन्हे सेऊ।
+
* [[मो सउ कोऊ न कहै समझाइ / रैदास]]
 
+
* [[मरम कैसैं पाइबौ रे / रैदास]]
ग्यान ध्यानं दोऊ दूरि कीन्हे, दूरिब छाड़े तेऊ।।४।।
+
* [[जीवत मुकंदे मरत मुकंदे / रैदास]]
 
+
* [[साध का निंदकु कैसे तरै / रैदास]]
पंचू थकित भये जहाँ-तहाँ, जहाँ-तहाँ थिति पाई।
+
* [[केसवे बिकट माया तोर / रैदास]]
 
+
* [[बरजि हो बरजि बीठल / रैदास]]
जा करनि मैं दौर्यौ फिरतौ, सो अब घट मैं पाई।।५।।
+
* [[रांमहि पूजा कहाँ चढ़ँऊँ। / रैदास]]
 
+
* [[बंदे जानि साहिब गनीं / रैदास]]
पंचू मेरी सखी सहेली, तिनि निधि दई दिखाई।
+
* [[सु कछु बिचार्यौ ताथैं / रैदास]]
 
+
* [[माधौ संगति सरनि तुम्हारी / रैदास]]
अब मन फूलि भयौ जग महियां, उलटि आप मैं समाई।।६।।
+
* [[माधौ अविद्या हित कीन्ह / रैदास]]
 
+
* [[देहु कलाली एक पियाला / रैदास]]
चलत चलत मेरौ निज मन थाक्यौ, अब मोपैं चल्यौ न जाई।
+
* [[संत ची संगति संत कथा रसु / रैदास]]
 
+
* [[तुझहि चरन अरबिंद / रैदास]]
सांई सहजि मिल्यौ सोई सनमुख, कहै रैदास बताई।।७।।
+
* [[हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे / रैदास]]
 
+
* [[माटी को पुतरा कैसे नचतु है / रैदास]]
 
+
* [[भाई रे सहज बन्दी लोई / रैदास]]
 
+
* [[ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं / रैदास]]
३.
+
* [[पार गया चाहै सब कोई / रैदास]]
।। राग रामकली।।
+
* [[बपुरौ सति रैदास कहै / रैदास]]
 
+
* [[इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे / रैदास]]
गाइ गाइ अब का कहि गांऊँ।
+
* [[रांम राइ का कहिये यहु ऐसी / रैदास]]
 
+
* [[रे मन माछला संसार समंदे / रैदास]]
गांवणहारा कौ निकटि बतांऊँ।। टेक।।
+
* [[रे चित चेति चेति अचेत काहे / रैदास]]
 
+
* [[रथ कौ चतुर चलावन हारौ / रैदास]]
जब लग है या तन की आसा, तब लग करै पुकारा।
+
* [[जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं / रैदास]]
 
+
* [[किहि बिधि अणसरूं रे / रैदास]]
जब मन मिट्यौ आसा नहीं की, तब को गाँवणहारा।।१।।
+
* [[माधवे का कहिये भ्रम ऐसा / रैदास]]
 
+
* [[माधौ भ्रम कैसैं न बिलाइ / रैदास]]
जब लग नदी न संमदि समावै, तब लग बढ़ै अहंकारा।
+
* [[मन मेरे सोई सरूप बिचार / रैदास]]
 
+
* [[जिनि थोथरा पिछोरे कोई / रैदास]]
जब मन मिल्यौ रांम सागर सूँ, तब यहु मिटी पुकारा।।२।।
+
* [[न बीचारिओ राजा राम को रसु / रैदास]]
 
+
* [[हरि हरि हरि न जपहि रसना / रैदास]]
जब लग भगति मुकति की आसा, परम तत सुणि गावै।
+
* [[माधवे तुम न तोरहु तउ हम नहीं तोरहि / रैदास]]
 
+
* [[प्रानी किआ मेरा किआ तेरा / रैदास]]
जहाँ जहाँ आस धरत है यहु मन, तहाँ तहाँ कछू न पावै।।३।।
+
* [[चमरटा गाँठि न जनई / रैदास]]
 
+
* [[पांडे कैसी पूज रची रे / रैदास]]
छाड़ै आस निरास परंमपद, तब सुख सति करि होई।
+
* [[तुझा देव कवलापती सरणि आयौ / रैदास]]
 
+
* [[मेरी प्रीति गोपाल सूँ जिनि घटै हो / रैदास]]
कहै रैदास जासूँ और कहत हैं, परम तत अब सोई।।४।।
+
* [[कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे / रैदास]]
 
+
* [[जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव / रैदास]]
 
+
* [[मैं का जांनूं देव मैं का जांनू / रैदास]]
 
+
* [[त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन / रैदास]]
४.
+
* [[जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया / रैदास]]
।। राग रामकली।।
+
* [[हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने / रैदास]]
 
+
* [[नामु तेरो आरती भजनु मुरारे / रैदास]]
राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ, सेवा करौं न दासा।
+
* [[अहो देव तेरी अमित महिमां, महादैवी माया / रैदास]]
 
+
* [[क्या तू सोवै जणिं दिवांनां / रैदास]]
गुनी जोग जग्य कछू न जांनूं, ताथैं रहूँ उदासा।। टेक।।
+
* [[खांलिक सकिसता मैं तेरा / रैदास]]
 
+
* [[जो मोहि बेदन का सजि आखूँ / रैदास]]
भगत हूँ वाँ तौ चढ़ै बड़ाई। जोग करौं जग मांनैं।
+
* [[ताथैं पतित नहीं को अपांवन / रैदास]]
 
+
* [[तू जानत मैं किछु नहीं भव खंडन राम / रैदास]]
गुणी हूँ वांथैं गुणीं जन कहैं, गुणी आप कूँ जांनैं।।१।।
+
* [[जिह कुल साधु बैसनो होइ / रैदास]]
 
+
* [[गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी / रैदास]]
ना मैं ममिता मोह न महियाँ, ए सब जांहि बिलाई।
+
* [[नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर / रैदास]]
 
+
* [[भेष लियो पै भेद जान्यो / रैदास]]
दोजग भिस्त दोऊ समि करि जांनूँ, दहु वां थैं तरक है भाई।।२।।
+
* [[ऐसा ध्यान धरूँ बनवारी / रैदास]]
 
+
* [[अबिगत नाथ निरंजन देवा / रैदास]]
मै तैं ममिता देखि सकल जग, मैं तैं मूल गँवाई।
+
* [[पांवन जस माधो तोरा / रैदास]]
 
+
* [[आज नां द्यौस नां ल्यौ बलिहारा / रैदास]]
जब मन ममिता एक एक मन, तब हीं एक है भाई।।३।।
+
* [[सब कछु करत कहु कछु कैसैं / रैदास]]
 
+
* [[जग मैं बेद बैद मांनी जें / रैदास]]
कृश्न करीम रांम हरि राधौ, जब लग एक एक नहीं पेख्या।
+
* [[चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ / रैदास]]
 
+
* [[माया मोहिला कान्ह / रैदास]]
बेद कतेब कुरांन पुरांननि, सहजि एक नहीं देख्या।।४।।
+
* [[कहि मन रांम नांम संभारि / रैदास]]
 
+
* [[हरि को टाँडौ लादे जाइ रे / रैदास]]
जोई जोई करि पूजिये, सोई सोई काची, सहजि भाव सति होई।
+
* [[प्रीति सधारन आव / रैदास]]
 
+
* [[दरसन दीजै राम दरसन दीजै / रैदास]]
कहै रैदास मैं ताही कूँ पूजौं, जाकै गाँव ठाँव न नांम नहीं कोई।।५।।
+
* [[सो कत जानै पीर पराई / रैदास]]
 
+
* [[इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी / रैदास]]
 
+
* [[ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै / रैदास]]
 
+
* [[हरि हरि हरि न जपसि रसना / रैदास]]
५.
+
* [[तू कांइ गरबहि बावली / रैदास]]
।। राग रामकली।।
+
* [[हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास / रैदास]]
 
+
* [[मिलत पिआरों प्रान नाथु कवन भगति ते / रैदास]]
अब मोरी बूड़ी रे भाई।
+
* [[ऐसे जानि जपो रे जीव / रैदास]]
 
+
* [[अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी / रैदास]]
ता थैं चढ़ी लोग बड़ाई।। टेक।।
+
* [[जब रामनाम कहि गावैगा / रैदास]]
 
+
* [[रामा हो जगजीवन मोरा / रैदास]]
अति अहंकार ऊर मां, सत रज तामैं रह्यौ उरझाई।
+
* [[राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ / रैदास]]
 
+
* [[यह अंदेस सोच जिय मेरे / रैदास]]
करम बलि बसि पर्यौ कछू न सूझै, स्वांमी नांऊं भुलाई।।१।।
+
* [[आज दिवस लेऊँ बलिहारा / रैदास]]
 
+
* [[कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे / रैदास]]
हम मांनूं गुनी जोग सुनि जुगता, हम महा पुरिष रे भाई।
+
 
+
हम मांनूं सूर सकल बिधि त्यागी, ममिता नहीं मिटाई।।२।।
+
 
+
मांनूं अखिल सुनि मन सोध्यौ, सब चेतनि सुधि पाई।
+
 
+
ग्यांन ध्यांन सब हीं हंम जांन्यूं, बूझै कौंन सूं जाई।।३।।
+
 
+
हम मांनूं प्रेम प्रेम रस जांन्यूं, नौ बिधि भगति कराई।
+
 
+
स्वांग देखि सब ही जग लटक्यौ, फिरि आपन पौर बधाई।।४।।
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+
स्वांग पहरि हम साच जांन्यूं, लोकनि इहै भरमाई।
+
 
+
स्यंघ रूप देखी पहराई, बोली तब सुधि पाई।।५।।
+
 
+
ऐसी भगति हमारी संतौ, प्रभुता इहै बड़ाई।
+
 
+
आपन अनिन और नहीं मांनत, ताथैं मूल गँवाई।।६।।
+
 
+
भणैं रैदास उदास ताही थैं, इब कछू मोपैं करी न जाई।
+
 
+
आपौ खोयां भगति होत है, तब रहै अंतरि उरझाई।।७।।
+
 
+
 
+
६.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
तेरा जन काहे कौं बोलै।
+
 
+
बोलि बोलि अपनीं भगति क्यों खोलै।। टेक।।
+
 
+
बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई।
+
 
+
बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ खाई।।१।।
+
 
+
बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई।
+
 
+
उर में धरि धरि जब ही बोलै, तब हीं मूल गँवाई।।२।।
+
 
+
बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई।
+
 
+
बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब खाई।।३।।
+
 
+
बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई।
+
 
+
कहै रैदास थकित भयौ जब, तब हीं परंमनिधि पाई।।४।।
+
 
+
 
+
७.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
भाई रे भ्रम भगति सुजांनि।
+
 
+
जौ लूँ नहीं साच सूँ पहिचानि।। टेक।।
+
 
+
भ्रम नाचण भ्रम गाइण, भ्रम जप तप दांन।
+
 
+
भ्रम सेवा भ्रम पूजा, भ्रम सूँ पहिचांनि।।१।।
+
 
+
भ्रम षट क्रम सकल सहिता, भ्रम गृह बन जांनि।
+
 
+
भ्रम करि करम कीये, भरम की यहु बांनि।।२।।
+
 
+
भ्रम इंद्री निग्रह कीयां, भ्रंम गुफा में बास।
+
 
+
भ्रम तौ लौं जांणियै, सुनि की करै आस।।३।।
+
 
+
भ्रम सुध सरीर जौ लौं, भ्रम नांउ बिनांउं।
+
 
+
भ्रम भणि रैदास तौ लौं, जो लौं चाहे ठांउं।।४।।
+
 
+
 
+
८.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे, अंतरि ल्यौ लागी।
+
 
+
एक अनूपम अनभई, किम होइ बिभागी।। टेक।।
+
 
+
इक अभिमानी चातृगा, विचरत जग मांहीं।
+
 
+
जदपि जल पूरण मही, कहूं वाँ रुचि नांहीं।।१।।
+
 
+
जैसे कांमीं देखे कांमिनीं, हिरदै सूल उपाई।
+
 
+
कोटि बैद बिधि उचरैं, वाकी बिथा न जाई।।२।।
+
 
+
जो जिहि चाहे सो मिलै, आरत्य गत होई।
+
 
+
कहै रैदास यहु गोपि नहीं, जानैं सब कोई।।३।।
+
 
+
 
+
९.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां।
+
 
+
जांनि क्रिया कीजै अपनों जनां।। टेक।।
+
 
+
त्रिबिधि जोनी बास, जम की अगम त्रास, तुम्हारे भजन बिन, भ्रमत फिर्यौ।
+
 
+
ममिता अहं विषै मदि मातौ, इहि सुखि कबहूँ दूभर तिर्यौं।।१।।
+
 
+
तुम्हारे नांइ बेसास, छाड़ी है आंन की आस, संसारी धरम मेरौ मन न धीजै।
+
 
+
रैदास दास की सेवा मांनि हो देवाधिदेवा, पतितपांवन, नांउ प्रकट कीजै।।२।।
+
 
+
 
+
१०.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो।
+
 
+
सति रांम ताकै निकटि आवो।। टेक।।
+
 
+
राम कहत जगत भुलाना, सो यहु रांम न होई।
+
 
+
करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।१।।
+
 
+
जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई।
+
 
+
आप आप थैं कोई न जांणै, कहै कौंन सू जाई।।२।।
+
 
+
सति तन लोभ परसि जीय तन मन, गुण परस नहीं जाई।
+
 
+
अखिल नांउं जाकौ ठौर न कतहूँ, क्यूं न कहै समझाई।।३।।
+
 
+
भयौ रैदास उदास ताही थैं, करता को है भाई।
+
 
+
केवल करता एक सही करि, सति रांम तिहि ठांई।।४।।
+
 
+
 
+
११.
+
।। राग रामकली।।
+
 
+
ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै।
+
 
+
साहिब मेरौ मिलै तौ को बिगरावै।। टेक।।
+
 
+
सब मैं हरि हैं हरि मैं सब हैं, हरि आपनपौ जिनि जांनां।
+
 
+
अपनी आप साखि नहीं दूसर, जांननहार समांनां।।१।।
+
 
+
बाजीगर सूँ रहनि रही जै, बाजी का भरम इब जांनं।
+
 
+
बाजी झूठ साच बाजीगर, जानां मन पतियानां।।२।।
+
 
+
मन थिर होइ तौ कांइ न सूझै, जांनैं जांनन हारा।
+
 
+
कहै रैदास बिमल बसेक सुख, सहज सरूप संभारा।।३।।
+

10:52, 1 मार्च 2016 के समय का अवतरण

रैदास, रविदास
Raidas.jpg
जन्म 1398
निधन 1518
उपनाम
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
विविध
भक्तिकालीन संत कवि। मीराबाई रैदास जी को अपना गुरु मानती थीं। गुरु रविदास की कुछ रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित की गई हैं।
जीवन परिचय
रैदास / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}

रैदास की पदावली