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नई भोर-सी | नई भोर-सी | ||
दमकाती है मन | दमकाती है मन |
13:35, 22 मार्च 2016 के समय का अवतरण
1
सोन चिरैया
जब भी तुम गाओ
मीठा ही गाओ
जो तुम मेरी मानो
नीड़ बनाओ
तिनका चुनकर
खुद ही लाओ
शेष अभी कहना-
छीन घरौंदा
कभी किसी पंछी का
नहीं सताओ
जीवन मंत्र यही-
मिट जाते हैं
बदनाम परिंदे
मान भी जाओ
सखि, जीवन जी लो
अमृत बाँटो, पी लो!
2
नई भोर-सी
दमकाती है मन
याद तुम्हारी
पल –पल है प्यारी
मुग्ध कली-सी
महकाती है मन
याद तुम्हारी
ज्यों सुरभि की झारी
प्यार पगी-सी
सरसाती है मन
याद तुम्हारी
यूँ रस बरसा री
कुंज गली-सी
भटकाती है मन
याद तुम्हारी
सब कुछ मैं हारी
सुनो न कान्हा!
तरसाती है मन
याद तुम्हारी
आओ कृष्ण मुरारी
संग हों राधे प्यारी!