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हम दो देवदारों के मध्य | हम दो देवदारों के मध्य | ||
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अब छायाएं हैं हम | अब छायाएं हैं हम | ||
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शून्य को चूमती | शून्य को चूमती | ||
छायाएं केवल। | छायाएं केवल। | ||
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03:38, 15 मई 2016 का अवतरण
हमारे पीठ पीछे आ चुका है चंद्रमा
एक-दूसरे पर झुके
हम दो देवदारों के मध्य
चढते चंद्रमा के साथ
हमारा प्यार
हमारे आदिम एकांत में वास कर रहा है
अब छायाएं हैं हम
लिपटे एक-दूसरे से
शून्य को चूमती
छायाएं केवल।